ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस कार्यक्रम में देशभर के संत शामिल हुए। इस मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल श्री गुरमीत सिंह जी ने कहा कि अपनी क्षमताओं को पहचानना और संकल्पों के साथ जीना ही जीवन है। दिव्यांग बेटियों को शिवस्त्रोत पर नृत्य करते देख मुझे शिक्षा प्राप्त हुई की अपनी सोच और विचारों को कभी कम नहीं आंकना चाहिये। अपनी सकारात्मकता के साथ जीवनयापन करें यही जीवन का उद्देश्य है। पूज्य स्वामी जी द्वारा शुरू की गंगा आरती परिर्वतन का उदाहरण है। वैदिक संस्कृति हमें तनाव से मुक्त रहने का संदेश देती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत भूमि वसुधैव कुटुम्बकम् की भूमि है। इस भूमि ने विश्व एक परिवार है के सूत्र दिये हैं। उत्तराखंड की भूमि स्विट्जरलैंड भी है और स्पिरिचुअललैंड भी है। इस भूमि ने दरारों को भरने और दिलों को जोड़ने का कार्य किया है और यही इस धरती की महिमा भी है।
“गौरतलब है कि मानसिक स्वास्थ्य विकार विश्व भर में होने वाली सामान्य बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों की अनुमानित संख्या 450 मिलियन हैं। भारत में लगभग 1.5 मिलियन व्यक्ति, जिनमें बच्चे एवं किशोर भी शामिल है, गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित हैं। मानसिक बीमारी व्यक्ति के महसूस करने, सोचने एवं काम करने के तरीकें को प्रभावित करती हैं। यह रोग व्यक्ति के मनोयोग, स्वभाव, ध्यान और संयोजन एवं बातचीत करने की क्षमता में समस्या उत्पन्न करता हैं जिसके कारण व्यक्ति असामान्य व्यवहार का शिकार हो जाता है। मानसिक रोगियों को अपने दैनिक जीवन के कार्यों के लिए भी संघर्ष करना पड़ता हैं, जिसके कारण यह गंभीर समस्या स्वास्थ्य चिंता का विषय बन गयी है।”
इस दौरान पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण जी पधारे, उन्होंने विश्व विख्यात गंगा आरती और विश्व शांति यज्ञ में सहभाग किया। लद्दाख से आये बौद्ध धर्मगुरू भिखू संगसेना जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्रीमती गुरूमीत कौर जी, पुत्र अमन, बेटी रूपी, ब्रह्मकुमारी बिन्नी सरीन जी और मानव सेवा सदन की टीम मौजूद रही।