- प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान के लिए अहिंसा विश्व भारती का सर्वोच्च सम्मान उत्तराखंड के राज्यपाल ने प्रदान किया
- स्वामी रामदेव जी के साथ जुड़कर “अहिंसा इंटरनेशनल अवार्ड” स्वयं सम्मानित हुआ – आचार्य डॉ लोकेशजी
देहारादून / नई दिल्ली: पतंजलि योगपीठ के संस्थापक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योगगुरु स्वामी रामदेवजी “अहिंसा इंटरनेशनल अवार्ड 2022” से सम्मानित हुए। प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के क्षेत्र में विश्वस्तरीय उत्कृष्ट योगदान के लिए अहिंसा विश्व के सर्वोच्च सम्मान उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह ने प्रदान किया।
उपरोक्त सम्मान उत्तराखंड के राजभवन में अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेशजी के 40वें दीक्षा दिवस पर आयोजित “प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण में संतों का योगदान” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान प्रदान किया गया। राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह ने योगऋषि स्वामी रामदेव को शॉल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस समारोह में, विश्व शांतिदूत आचार्य डॉ लोकेशजी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वतीजी एवं महामंडलेश्वर स्वामी अवद्वैतानन्द जी के साथ कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष मुंबई के श्री सौरभ बोरा, अमेरिका से समागत श्री अनिल मोंगा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।
अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेशजी ने पुरस्कार की जानकारी देते हुए बताया कि विश्व भर से 3257 प्रविष्टियों में चयन समिति ने योग ऋषि स्वामी रामदेव के योगदान को अति विशिष्ट रेखांकित करते हुए इस अवार्ड के लिए उन्हे चयनित किया। आचार्य डॉ लोकेशजी ने कहा कि स्वामी रामदेवजी ने योग, आयुर्वेद एवं पतंजलि उद्योग के माध्यम से प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में महान योगदान दिया है। उन्होने अर्थ को परार्थ एवं परमार्थ से जोड़कर समाज को नई राह दिखाई है। वे आज भी व्यक्तिगत जीवन एक फकीर की भांति जीते हैं तथा पतंजलि योगपीठ के माध्यम से जो भी अर्थारजन होता है उसे भी लोक-कल्याणकारी कार्यों हेतु समर्पित कर देते हैं।
इस अवसर पर, राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह ने योगऋषि स्वामी रामदेव को अवार्ड भेंट करते हुए उनके मानवातावादी कार्यों की भूरी-भूरी सराहना की तथा आशा व्यक्त की कि समाज व राष्ट्र को लंबे समय तक उनकी सेवाएँ प्राप्त होती रहेंगी।
पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्वामी रामदेवजी ने कहा कि संत सम्मान और तिरस्कार से उपरत होते हैं, हम सभी का कर्तव्य व दायित्व है कि हम सभी अपने परम-पुरुषार्थ से भारत को वैभवशाली राष्ट्र बनाने के लिए अपना योगदान देते रहें।
इस कार्यक्रम का संचालन वीर चक्र विजेता कर्नल टी. पी. त्यागी ने किया एवं काफी संख्या लोग उपस्थित रहे।