- बरसाने के हुरियारों पर बरसीं प्रेम पगी लाठियां
- नख से सिर तक सोलह श्रृंगारों से सुसज्जित हुरियारिनों ने बरसाई लाठियां
मथुरा/ मदन सारस्वत। उड़त गुलाल लाल भये बदरा… गुलाल, रंग, प्रेम और श्रद्धा का ऐसा संगम कि हर कोई बरसाना में होली की मस्ती में मस्त होकर झूम उठा। बरसाना की हुरियारिनों ने नंदगांव के हुरियारों पर लाठियों की बरसात शुरू की तो मयूरी थिरकन पर लाठियों के प्रहार को अपनी ढाल पर सहते हुए हुरियारिनों को उकसाते रहे। ब्रज की होली के वास्तविक आनंद से श्रद्धालुओं सराबोर हो गए। लठामार होली से एक दिन पहले बरसाना में लड्डूओं की बरसात लाडली जू मंदिर पर हुई। लड्डूओं की यह बरसात उस खुशी और आनंद की अभिव्यक्ति, जो बरसाना से भेजे गए होली के निमंत्रण को नंदगांव में स्वीकार कर लिए जाने को बता रही थी। भगवान श्रीकृष्ण के सखारूपी नंदगांव के हुरियारे दोपहर तक पीली पोखर पर पहुंच गए। होली खेलने के लिए खुद को तैयार किया। हजारों बरसों से चली आ रही, इस परंपरा के तहत नंदगांव के हुरियारे पिली पोखर पर आते है। जहां उनका स्वागत बरसाना के लोग ठंडाई और भांग से करते है। राधारानी की सखीरूपी हुरियारिनों की प्रेमपगी लाठियों के प्रहार सहने के लिए सिर पर साफा बांधा और ढालों को तैयार किया। इसके बाद टेसू के रंगों और गुलाल से सराबोर हुए उल्लासित ये हुरियारे अपनी ढालों को लेकर पहाडी पर बने लाडली जो के मंदिर की ओर दौड पडे। अब तक नख से सिर तक सोलह श्रृंगारों से सुसज्जित हुरियारिनें भी नंदगांव के हुरियारों की खबर लेने के लिए अपनी लाठियों को लेकर बरसाना की गलियों में निकल आईं थीं। कहा जाता है अद्भुत और अचंभित कर देने वाले इस दृश्य को देखने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। नंदगांव के हुरियारे अपनी आराध्य राधारानी के चरणों में गुलाल अर्पित करने के बाद बरसाना की रंगीली गली की ओर निकल पडते हैं। हंसी ठिठोली, ब्रज की भावभरी गाली, उडते अबीर गुलाल के बीज लाठियों की आवाज ने ऐसा दृश्य पैदा किया कि जो इसे देखने वाले अपनी सुधबुध ही खो बैठे। ऐसा लगता है कि मानो भगवान भी ठहर गए हौं। वह भी रंगीली गली की होली को देखने का मौह छोडना नहीं चाहते हो। होली का आनंद लेने के लिए देश विदेश से कौने कौने से आए श्रद्धालुओं ने लठामार होली का जमकर आंनद लिया। बरसाना की लठामार होली के दिन श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। सुरक्षा व्यवस्था के लिए क्षेत्र को पांच जोन में बांटा गया था और सैक्टर में बांटा गया था। तीस बैरियर और इतनी ही पार्किंग बनाए गए थे। पुलिस बल तैनात किया गया था। जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो। एक कंट्रोलरूम भी बनाया गया था जिससे व्यवस्थाओं को सुचारू रखा जा सके।





