महिलाओं ने श्रद्धा और आस्था के साथ रखा करवा चौथ का व्रत
कागारौल:– अखंड सौभाग्य, प्रेम और विश्वास का प्रतीक पर्व करवाचौथ क्षेत्र में पूरे हर्षोल्लास और पारंपरिक श्रद्धा के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने सूर्योदय से पूर्व निर्जला व्रत आरंभ कर दिनभर माता करवा की आराधना की और चंद्रदर्शन तक पूजा-अर्चना, कथा श्रवण व आरती की परंपरा निभाई। चांद निकलने के बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोला गया।
यह पवित्र पर्व पति-पत्नी के अटूट प्रेम, निष्ठा और समर्पण का प्रतीक है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं, वहीं कुछ स्थानों पर पति भी पत्नियों की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रत का पालन करते हैं।
करवाचौथ के अवसर पर सुहागिन महिलाएं — दीपशिखा चाहर, लक्ष्मी चाहर, सपना चाहर, राधा चाहर, नगिना चाहर, कुसुम चाहर, ममता चाहर, आदि ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर माता करवा की पूजा-अर्चना की। कथा सुनने के बाद चांद को अर्घ्य अर्पित कर अखंड सौभाग्य और वैवाहिक सुख की प्रार्थना की।
रात्रि में जब पतियों ने प्रेमपूर्वक अपनी पत्नियों को जल पिलाया और उपहार भेंट किए, तो घर-आंगन में खुशी और उल्लास का वातावरण बन गया। करवाचौथ का यह अनुपम दृश्य प्रेम, समर्पण और भारतीय संस्कृति की जीवंत मिसाल प्रस्तुत करता है।