वाराणसी। कई प्रदेशों में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। पंचायतों से चुनकर आने वाली महिलाओं का प्रतिनिधित्व देशभर से लगभग 40 से 50 प्रतिशत तक होगा। यानि कुछ राज्यों में पंचायतों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत तक है और सही भी है बिना प्रतिनिधित्व के महिलाओं का सशक्तिकरण असंभव है। जब तक महिलाओं को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाएगा तब तक महिला सशक्तिकरण की कल्पना असम्भव है। यद्यपि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के द्वारा महिलाओं की शिक्षा, उत्तम स्वास्थ्य, सुरक्षा, सम्मान, स्वावलम्बन व मनोबल के लिए लगातार प्रयत्न किए जा रहे हैं। वह चाहे महिला सांसदों या विधायकों को संसद या विधानसभा में बोलने का सुझाव ही क्यों न हो निश्चित ऐसे सुझावो पर संसद और विधानसभाओं को गौर करना चाहिए लेकिन इसके साथ-साथ जरूरत है कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को उनकी आबादी के हिसाब से या 33 प्रतिशत आरक्षण भी दिया जाए जिससे पंचायत और नगरपालिका की तरह संसद और विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ सके। साथ ही भारत की विधायिका में महिलाओं को आरक्षण दिलाने के लिए सभी दलों को दलगत राजनीति से उठकर महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करना चाहिए। कोई भी राष्ट्र महिलाओं के बिना शक्तिहीन है क्योंकि राष्ट्र को हमेशा से महिलाओं से ही शक्ति मिलती है। किसी भी जीवंत और मजबूत राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है। महिलाओं की राजनैतिक भागीदारी से लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती है। आज जरूरत है कि समाज में महिलाओं को अज्ञानता, अशिक्षा और संकुचित विचारो से निकालकर प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए उसे सामजिक, शैक्षिक, राजनैतिक चेतना पैदा करने की। जिससे आधी आबादी पुरुषों के साथ कंधे पर बोझ न होकर कंधे से कन्धा मिलाकर समाज को आगे बढ़ाने में सहयोग कर सके।
आज जरूरत है कि समाज कि जितनी भी रूढ़िवादी समस्याएं हैं हमें उनका समाधान खोजते हुए हठधर्मिता त्यागकर शैक्षिक, सामजिक, सौहार्दपूर्ण, व्यावसायिक, राजनैतिक चेतना का मार्ग प्रशस्त करते हुए महिलाओं के सामजिक उत्थान का संकल्प लेना चाहिये। क्योंकि हजारों मील की यात्रा भी एक पहले कदम से शुरू होती है। इसके साथ ही समाज को संकल्प लेना चाहिए कि भारत में समानता के भावबोध हो भारत के किसी घर में कन्या भ्रूण हत्या न हो और भारत की किसी भी बेटी को दहेज के लिए उत्पीड़न न हो। विश्व के मानस पटल पर एक अखंड और प्रखर भारत की तस्वीर तभी प्रकट होगी जब आधी आबादी अपने अधिकारों और शक्ति को पहचान कर अपनी गरिमा और गौरव का परिचय देगी और राष्ट्र निर्माण में अपनी प्रमुख भूमिका निभाएंगी।
मीना चौबे, प्रदेश मंत्री, भाजपा, उत्तर प्रदेश