वाराणसी। वृष राशि राशि चक्र की दूसरी राशि है। वृष राशि का प्रतीक है-बैल। बैल स्वभाव से परिश्रमी एवं ऊर्जावान् होता है। सामान्य रूप से बैल शान्त होता है। लेकिन उग्र हो जाने पर उसको सम्भालना मुश्किल होता है।
वृष राशि का विस्तार 31° से 60° तक है। इसका स्वामी शुक्र है। यह स्त्री एवं सौम्य व सम राशि है। यह पृथ्वी तत्व, वैश्य वर्ण, वात प्रधान, पृष्ठोदय एवं दिवाबली राशि है। यह राशि उत्तरी गोलार्द्ध की दृढ़ स्थिर, लघु या ह्रस्व एवं वनस्थली व मैदानी भाग का प्रतीक है। मुख, गला, ग्रंथियां, गर्दन आदि इसके तीन द्रेष्काण हैं, जिसके स्वामी शुक्र, शुक्र-बुध एवं शुक्र शनि हैं। इसमें कृतिका के तीन चरण, रोहिणी के चार चरण एवं मृगशिरा के प्रथम दो चरण होते हैं। सायन सूर्य 21 अप्रैल से 21 मई तक वृष राशि में रहता है। यही अवधि शक संवत् के वैशाख मास की भी है। निरयन सूर्य 16 मई से 15 जून तक वृष राशि में रहता है।
यह पृथ्वी त्रिकोण की प्रथम राशि है। अतः वृष जातक पृथ्वी की तरह गम्भीर एवं जल की भांति शान्त होते हैं। लेकिन अपनी इच्छा के विरुद्ध कोई काम होने पर बैल की भांति फुफकारने लगते हैं। वृष राशि कालपुरुष की दूसरी राशि है, जो कंठ का प्रतीक है। वृष प्रधान जातक के कन्धे चौड़े, गर्दन मोटी एवं माथे चौड़े होते हैं। वृष – महिलाएं प्रायः उन्नत उरोजों एवं छोटे हाथ पैरों वाली होती हैं। प्रौढावस्था में उन पर मोटापा चढ़ने की प्रवृत्ति होती है। वृष जातक दृढ एवं स्थिर स्वभाव के एवं काम के प्रति लगनशील होते हैं। उनमें शारीरिक एवं मानसिक सहनशीलता रहती है। दृढ संकल्प शक्ति होने से तनावों को सहन करके अपने कार्य में लगे रहते हैं। बार बार परिवर्तन इन्हें पसन्द नहीं है। यदि कोई परिवर्तन होता है तो इनके सामने परेशानिया बढ़ जाती हैं। वृष जातक अत्यन्त सामाजिक होते हैं। मित्रों, बन्धुओं एवं प्रियजनों का स्वागत-सत्कार करने में आनन्द का अनुभव करते हैं। वे सुख सौन्दर्य बागवानी, कला, साहित्य, संगीत आदि में विशेष रुचि लेते हैं। विषम जातक कुशल संगीतज्ञ, अभिनय नाटककार, कलाकार एवं अभिनेता होते हैं । ऐसे लोग प्रेमी स्वभाव के होने के कारण अपने प्रेमी के लिए बड़े सा बड़ा बलिदान कर सकते हैं. किन्तु जिनसे घृणा होती हैं. उन्हें जीवन भर क्षमा नहीं कर पाते। थोड़ी सहानुभूति में ही वे पिघल जाते हैं।
प्राध्यापक: हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, वाराणसी। निदेशक: काशिका ज्योतिष अनुसंधान केंद्र। मो0: 9450209581/ 8840966024
नोट: कुंडली निर्माण, फलादेश, वैदिक कर्मकांड, वास्तु ज्ञान एवं ज्योतिषीय सुझाव हेतु आप आचार्य जी के दिये मोबाइल नम्बर पर सशुल्क सादर आमंत्रित हैं।