हम तभी तक सुरक्षित जब तक हमारा देश सुरक्षित – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

  • विजय दिवस :51 वें विजय दिवस पर शहीदों को भावभीनी श्रद्धाजंलि

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विजय दिवस के अवसर पर भारत के जाबाज़ सैनिकों को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि हमारे सैनिक अपने जीवन, कर्म और राष्ट्र भक्ति से अनगिनत युवाओं को प्रेरित करते है। हमारे जाबाज़ सैनिक अपना जीवन अपने परिवार के लिये नहीं बल्कि राष्ट्र के लिये समर्पित करते हैं। विजय दिवस भारत के युवाओं के लिये एक मिसाल है।
आज विजय दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि देव भक्ति से पहले देश भक्ति जरूरी है। भारत का एक मजबूत लोकतंत्र है इसे और मजबूत बनाने के लिये हर दिल में देश भक्ति का दीप जलाना होगा। भारत देश विभिन्न संस्कृतियों, वर्गो, वर्णो, भाषाओं, वेशभूषाओं एवं परम्पराओं का सुन्दर बगीचा है। इस एकता, अखंडता और सद्भाव से युक्त बगीचे को बनाये रखने के लिये सभी नागरिकों को अपने राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्ध होना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि अपने देश को चमन बनाने के लिये तथा उसमें अमन और शान्ति बनी रहे इसलिये सबको सदैव प्रयत्न करते रहना होगा। उन्होने कहा कि हम तभी तक सुरक्षित है जब तक हमारा देश सुरक्षित है इसलिये अपनी-अपनी देव भक्ति करे परन्तु देश भक्ति पहले हो।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि ’’भारत एक भूमि का टुकडा नहीं है बल्कि भारत, तो एक जीता जागता राष्ट्र है, भारत, शान्ति की धरती है और शान्ति का  पैगाम देती है। हमारा तो मंत्र भी ऊँ शान्तिः, शान्तिः, शान्तिः है और ये शान्ति प्रार्थना सब के लिये है।
स्वामी जी महाराज ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहें। जब तक हम भारत के प्राचीन इतिहास से नहीं जुड़ेंगे तब तक उसकी दिव्य, भव्य संस्कृति और सभ्यता के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं कर पायेंगे। भारत की गौरवमयी संस्कृति को जानने के लिये उसके इतिहास को जानना बहुत जरूरी है। इस गौरवशाली संस्कृति की रक्षा करना केवल सैनिकों का ही कर्तव्य नहीं बल्कि प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है।
वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की विजय की स्मृति में प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2021 में विजय दिवस के 51 वर्ष पूरे हो गए हैं। भारत का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सभी सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने आजादी के बाद देश की रक्षा के लिये अपना जीवन बलिदान कर दिया। साथ ही यह स्मारक उन सैनिकों की भी याद दिलाता है जिन्होंने शांति अभियानों में बलिदान दिया है।

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