“भावी मेटि सकैं त्रिपुरारी”अर्थात् जब ईश्वर की कृपा व्यक्ति पर होती है तो पाप पुण्य के हिसाब के बिना ईश्वर भविष्य बदल देते हैं। ईश्वर की कृपा ही सत्य है। यही कारण है कि योग्य नौकरी करता है तथा अयोग्य शासन। प्रत्येक व्यक्ति हाड़ – मांस का पुतला है। केवल मनुष्य से पाप या त्रुटि होता है ईश्वर से नहीं । व्यक्ति को जाने अंजाने पापों के लिए प्रायश्चित एवं ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि हे दयालु प्रभु मेरे पापों को नष्ट या क्षमा करो तथा अपनी कृपा करो। क्षमा करना ईश्वर का गुण है। इस प्रकार जो व्यक्ति अपने पापों को क्षमा करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है तब ईश्वर उसके सभी पापों को क्षमा कर उसका भविष्य बदल देते हैं। यह सभी देवता कर सकते हैं किन्तु शीध्रातिशीध्र प्रसन्न होने वाले आशुतोष (शंकर जी) बहुत शीघ्र करते हैं।
दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिससे जाने या अंजाने में पाप न हुआ हो। इस लिए बिन्दु कवि ने कहा है कि, मैं पापी पातकी नामी, तू नामी पापहर भगवन। ये लज्जा दोनो नामों की बचा लोगे तो अच्छा है।। प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर से प्रार्थना करते रहना चाहिए। पता नहीं कब कृपालु भगवन् सुन लें और हमारी भाग्य बना दें।
“दया करो हे दयालु भगवन्”
साभार – कवि श्री दिनेश उपाध्याय जी के फेसबुक वॉल से