- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य और आशीर्वाद
- जहां सब समान, सब का सम्मान वही इस देश का स्वाभिमान और संविधान
- सनातन डेंगू नहीं बल्कि डिवाइन है -स्वामी चिदानन्द सरस्वती
दिल्ली। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बागेश्वर धाम आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री जी द्वारा रचित पुस्तक ‘‘सनातन धर्म क्या है’’ के विमोचन अवसर पर सहभाग कर सभी को आशीर्वाद प्रदान किया।
’’सनातन धर्म क्या है’’ पुस्तक के विमोचन अवसर पर बागेश्वर धाम आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, लोकसभा सदस्य श्री मनोज तिवारी जी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री सुधांशु त्रिवेदी जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों का सान्निध्य प्राप्त हुआ।
आचार्य श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी ने बताया कि सनातन धर्म क्या है इस पुस्तक को सभी को पढ़ना चाहिये। हमारी कोशिश होगी कि यह पुस्तक सभी बच्चों तक पहुंचायी जाये ताकि वे अपनी संस्कृति व सनातन धर्म के विषय में जान सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सनातन वह है, वह जिसे टच कर लंे वह डिवाइन हो जाता है; सनातन मस्त कर देने वाला है। जब तक भारत के पास तपस्वी, यशस्वी और ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी है तब तक सभी शक से नहीं बल्कि हक से जियें। इस समय हमें किसी चीज की जरूरत है तो वह है एक-दूसरे के साथ बैठकर संवाद को महत्व दे और समाधान ढूंढें।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन कहा कि राम, आग नहीं ऊर्जा है, राम, विजय नहीं विनय है और राम, विवाद नहीं समाधान है इन तीनों में ही उन्होंने सनातन का संदेश दे दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हर भारतीय चाहे वह भारत या फिर विश्व ग्लोब पर कहीं भी रहता है परन्तु उसके दिल में राष्ट्र प्रथम, राष्ट्र हित और राष्ट्र प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी होती है। भारत केवल एक भौगोलिक राष्ट्र नहीं है, जिसके चारों ओर सीमायें हो बल्कि भारत तो माता है, जिसके अपने नैतिक मूल्य, संस्कार व गौरवशाली संस्कृति है जो सदियों से चली आ रही है और यही संस्कृति सनातन का स्वरूप है।
इस संस्कृति के कण-कण व रज-रज में वसुधैव कुटुम्बकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः, आनो भद्रा आदि अनेक दिव्य मंत्रों का नाद समाहित है। जिसकी कहानियों ने वीरता, शूरता, धैर्य, शान्ति, एकता व सम्प्रभुता विद्यमान है। भारतीयों का भारत से केवल जमीनी रिश्ता नहीं है बल्कि भावनात्मक, आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक रिश्ता है। भारत का इतिहास परम्पराओं से और भविष्य आकांक्षाओं से भरा हुआ है और यही सनातन धर्म हमें शिक्षा देता है।
भारत अपने लिये नहीं बल्कि अपनों के लिये जीता है और उन अपनों में सम्पूर्ण विश्व समाहित है। भारत की अपनी आवाज़ है, अपनी दिव्य ऊर्जा है और वह आवाज़ व ऊर्जा सनातन की है।
भारत का यह अमृत काल है इसमें प्रत्येक भारतीय को स्वहित व राष्ट्रहित के बीच संतुलन स्थापित करना होगा तथा प्रत्येक युवा को राष्ट्रहित के लिये अग्रणी शक्ति के रूप में भूमिका निभानी होगी। हम सौभाग्य शाली है कि वर्तमान में माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के रूप में एक कुशल नेतृत्व हमारे पास है।
इस अवसर पर सभी महापुरूषों ने अपने विचार व्यक्त किये तथा पत्रकार वार्ता का भी आयोजन किया गया।