“शहादत नहीं शान्ति – क्रोध से करूणा” की ओर : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 14 फरवरी। पुलवामा हमले में शहीद हुये सीआरपीएफ ( अर्द्धसैनिक बल) के 42 जवानों को भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदनन्द सरस्वती जी ने विदेश से भेजे अपने संदेश में कहा कि देश के उन सभी वीर योद्धाओं की शहादत, राष्ट्र भक्ति और पुरूषार्थ को नमन जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये अपने प्राणों का बलिदान कर दिया।

भारत के लिये वह समय दर्द और कठिनाइयों से भरा हुआ था। पुलवामा जैसे हमलों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिये वैश्विक स्तर पर मित्रता और शान्ति को बढ़ावा देने की जरूरत है। पुलवामा हमले ने हमें एक बार फिर यह सोचने-विचारने का मौका दिया है कि वर्तमान समय में प्रत्येक राष्ट्र को आत्मनिरीक्षण के साथ एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़ना होगा। आतंकवाद से जुड़ी हर समस्या का स्थायी समाधान खोजना होगा और इसके लिये वैश्विक स्तर पर नीतिगत सुधारों की नितांत आवश्यकता है। स्वामी जी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि राष्ट्र के समग्र विकास और शान्ति की स्थापना के लिये हर एक को आगे आना होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पुलवामा हमला आतंकवाद का बर्बर चेहरा है। पूरी दुनिया में आतंकवाद और उग्रवाद अलग-अलग नामों, संगठनों, क्षेत्रों और उद्देश्यों को लेकर पैर फैला रहा है और अब यह एक वैश्विक खतरा बन गया है। वर्तमान समय में यह न केवल किसी एक राष्ट्र के लिये बल्कि पूरी दुनिया के लिये एक बड़ा खतरा बन कर उभरा है अतः सभी राष्ट्रों को मिलकर एक ठोस रणनीति बनाकर आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिये एकजुट होना होगा।

स्वामी जी ने कहा किसी भी एक राष्ट्र के लिये आतंकवाद का सामना करना मुश्किल है परन्तु सभी राष्ट्र मिलकर इस वैश्विक समस्या का समाधान करंे तो निश्चित रूप से इसे समाप्त किया जा सकता है। आतंकवाद किसी एक राष्ट्र की समस्या नहीं है बल्कि पूरे विश्व की है। भारत तो हमेशा से ही आतंकवाद के खिलाफ रहा है और आतंकवाद को समाप्त करने और शान्ति की स्थापना के लिये आवश्यक कदम भी उठा रहा है। भारत का हमेशा से ही उदेद्श्य शान्ति की स्थापना रहा है लेकिन अब इसके लिये दुनिया के अन्य सभी राष्ट्रों को भी समर्थन देना होगा ताकि आतंक को पोषित करने वाले संगठनों के खिलाफ भी रणनीतिपूर्ण ठोस कार्यवाही की जा सके।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि देश की सीमाओं, मानवाधिकारों और संवैधानिक मूल्यों की सुरक्षा हेतु हम सभी को मिलकर आगे बढ़ना होगा।

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