- स्वामी गोविन्द देव गिरि जी, साध्वी ऋतम्भरा जी, हनुमान गढ़ी अयोध्या महंत श्री राजूदास जी, बद्रीनाथ से बाबा योगेश्वर जी और पूज्य संतों का पावन सान्निध्य
- श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के मार्गदर्शन व उत्कृष्ट नेतृत्व में 108 कुंडीय विष्णु महायज्ञ महोत्सव और दिव्य भागवत कथा एवं 151 महाशिवरात्रि विवाह महोत्सव का आयोजन
- बागेश्वर धाम में श्रद्धा व आस्था का महाकुम्भ–स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश/छतरपुर, 5 मार्च। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बागेश्वर धाम पीठ में आयोजित बुन्देलखंड का महाकुम्भ, 151 सामूहिक कन्या विवाह महोत्सव, दिव्य भागवत कथा और 108 कुंडीय विष्णु महायज्ञ में सहभाग कर नवविवाहितों को आशीर्वाद दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी पूरे भारत में सनातन संस्कृति का शंखनाद कर रहे हैं। साथ ही उनके मार्गदर्शन में बागेश्वर धाम में अद्भुत सेवा प्रकल्पों का आयोजन किया जा रहा है जो वास्तव में युवाओं के लिये अनुकरणीय है। युवा शक्ति को अपने मूल, मूल्य और संस्कृति से जोड़ने के साथ ही 151 कन्या विवाह महोत्सव का आयोजन वास्तव में सच्ची सेवा है। निराश्रित कन्याओं का विवाह करवाना, उनकी गृहस्थी को संवारना ये सचमुच केवल सेवा ही नहीं बल्कि सच्चा यज्ञ है।
श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के मार्गदर्शन में बागेश्वर धाम परिवार द्वारा पूरे भारत में मानवता के कल्याण के लिये अद्भुत व अनुपम सेवा कार्य है सम्पन्न हो रहे हैं। वास्तव में यह भारत की महान भारत की ओर बढ़ने की यात्रा है।
स्वामी जी ने कहा कि यह समय भारत की खुशहाल व विकसित भारत यात्रा का समय है। यह समय पर्यावरण के सतत विकास व परिपूर्णकारी यात्रा का समय है इसलिये आईये सभी मिलकर कर इस गौरवशाली राष्ट्र और उसकी गौरवमयी गाथा का उत्सव मनाये।
स्वामी जी ने कहा कि सनातन अर्थात शाश्वत, सदैव बना रहने वाला, अनादि, अनन्त। सनातन संस्कृति हर युग के लिये प्रासांगिक है क्योंकि वह वेद ज्ञान पर आधारित है। उसमें ज्ञान और विज्ञान, का अद्भुत समन्वय है। उसी में हमारे मूल्य और मूल समाहित हैं और वर्तमान समय में युवा पीढ़ी को उन मूल्यों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। वैदिक परम्परा से सामूहिक विवाहों का आयोजन करने से समाज में एकता, एकजुटता के साथ माता-पिता पर दहेज का भार भी नहीं पड़ता।
वास्तव में ऐसे ही सनातन संस्कृति के सिद्धान्तों का अनुसरण कर व्यक्तिगत, सामाजिक और वैश्विक संघर्षों और समस्याओं को भी समाप्त किया जा सकता है। जिस वैदिक वैश्विक संस्कृति ने हमें उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः जैसे दिव्य सूत्र और मंत्र दिये हैं उन्हें इसी प्रकार सामाजिक परिवेश में लागू किया जाना चाहिये।
स्वामी जी ने कहा कि इस तरह के दिव्य आयोजन युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति से, अपने मूल और मूल्यों से परिचित कराने के उत्कृष्ट माध्यम है। संस्कृति और संस्कारों से विहीन जीवन बिना पानी की नदी और बिना पैसे के बैंक के समान हैं, इसलिये सनातन संस्कृति और विचारों का अनुसरण ही नहीं बल्कि उसे जीवन पद्धति बनाना जरूरी है।
आचार्य श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी का सामूहिक विवाह महोत्सव में आकर नव विवाहितों को आशीर्वाद प्रदान करना ही हमारे लिये एक दिव्य महोत्सव है। उन्होंने कहा कि यह प्रभु की कृपा ही है कि हम पर उनके आशीर्वाद की वर्षा होते ही रहती है।
इस अवसर पर अभिनेता व सांसद श्री मनोज तिवारी जी, भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह जी, गायिका स्वाती मिश्रा ( मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जायेंगे) और कई कलाकारों और भोजपुरी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी।