रोजाना की तरह घोसी के एसडीएम न्यायिक राजेश कुमार अग्रवाल क्षेत्र से दौरा कर तहसील जा रहे थे। ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। एसडीएम न्यायिक अगली सीट पर बैठकर ऑफिशियल काम निपटा रहे थे। गाड़ी चल रही थी कि अचानक सामने नजर पड़ी तो दिखा कि एक गाड़ी लहरते हुए डिवाइडर में टकराती है उसके बाद अनियंत्रित होकर गड्ढे में गिरती है फिर क्या…? चीख, पुकार, शोर, शराबा दौड़ो..बचाओ शुरू… राहगीर कार की तरफ दौड़े, इतने में एसडीएम न्यायिक अपनी गाड़ी किनारे लगवाते हैं और झट गेट खोल रेस्क्यू में लग जाते हैं…खुद एक्सीडेंटल गाड़ी से कोपागंज निवासी एसबी राय को निकलते हैं, राहगीरों की मदद से उनकी पत्नी और बच्चों को गाड़ी से बाहर निकालकर बगल में बने मैरेज हाल की कुर्सी पर बैठाते हैं और उन लोगों को साहस देते हैं…उसके बाद अपनी गाड़ी से पानी का बोतल निकाल कर उनके बच्चों को पानी पिलाते हैं…दौड़कर बगल की दुकान से खुद चाय लाते हैं उन लोगों को चाय पिलाते हैं…. उसके बाद उन लोगों के परिजनों से बात कर वहां की स्थिति से अवगत भी कराते हैं… इतने में भीड़ इकट्ठा हो चुकी थी। माननीय संवेदनाओं से भरे एसडीएम न्यायिक राजेश कुमार अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। काना फुंसी होने लगी थी कि ये तो एसडीएम साहब हैं। अरे ये तो इतने सरल हैं कि खुद रेस्क्यू में लग गए। कुछ लोग तो ये भी कह रहे थे कि एसडीएम साहब अपने न्यायालय में गरीबों, मजलूमों को खोजकर न्याय देते हैं। ऐसे तेज तर्रार, मानवीय संवेदनाओं से भरे व्यक्तित्व के अफसर की घोसी की जनता को जरूरत थी जो अब पूरी हो रही है। हालांकि एसडीएम न्यायिक की जुबानी जब इस हादसे को सुना तो रोंगटे खड़े हो गए। यकीन नहीं हो रहा था कि इस खौफनाक मंजर में कोई बचेगा भी। महज 100 मीटर की दूरी पर मौत खड़ी थी और छू कर निकल गई।