संतदेव चौहान ने पेश की मानवता की मिसाल, बने ‘गरीबों के मसीहा’

  • संतदेव चौहान ने की गरीब परिवार की मदद

दोहरीघाट। कोरोना संकट काल की बात हो या फिर आम दिनों की समाजसेवी और AIIMS कर्मचारी संतदेव चौहान एक बार फिर गरीबों के मसीहा साबित हुए हैं।

दरअसल राजधानी दिल्ली में बस एक मदद के लिए आए फोन कॉल पर उन्होंने ना सिर्फ बढ़-चढ़ कर गरीब परिवार की मदद की, बल्कि दुख और संकट की इस घड़ी में मौके पर पहुंच कर उन्होंने एक महिला का शव 800 किलोमीटर दूर उसके पैतृक घर पहुंचवाया।

गौरतलब है कि मऊ के बड़ार गांव की निवासी मृतक महिला रामरती चौहान कैंसर से पीड़ित थीं। करीब 5 महीने से इनका इलाज इसके कैंसर विभाग में चल रहा है। बुधवार की शाम 6 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली। उसके बाद प्रमोद चौहान ने रामरती की मौत की सूचना समाजसेवी संतदेव चौहान को दी और उनसे मृतक महिला का शव दिल्ली से मऊ पहुंचवाने के लिए मदद की गुहार लगाई।

इस बात की सूचना मिलते ही संतदेव चौहान ने मदद करने में तनिक भी देर न करते हुए घर से तुरंत एम्स पहुंचकर अपने निजी खर्चे से महिला का शव उसके घर भिजवा दिया।

ऐसा पहली बार नहीं है जब संत देव चौहान समय और पैसे की परवाह किए बिना जरूरतमंदों की मदद करते रहे हैं। इससे पहले भी दूर दराज के कई शवों को उनके घर पहुंचा चुके हैं।

कोरोना काल में संतदेव चौहान ने इलाज कराने के साथ-साथ लोगों की आर्थिक मदद भी की थी। इतना ही नहीं पीएम मोदी की अपील पर अपने दो साल का वेतन भी वो पीएम केयर्स फंड में दान दे चुके हैं। जबकि 7 अगस्त को ही सोशल वर्कर संतदेव चौहान ने गरीबों और जरूरतमंदों के बीच अपना जन्मदिन मनाया और सैकड़ों लोगों को खाने-पीने का पैकेट भी बांटा।

इस भागती दौड़ती दुनिया में जब हर कोई अपने ही जीवन में मशगूल है।वहीं संत देव चौहान खुद दिव्यांग होकर भी अपने दिव्यांगता को कभी अपनी सोच के आड़े नहीं आने दी। संतदेव चौहान ऐसे व्यक्ति हैं जो नेकी की सोच और बुलंद हौसल के दम पर हर जरूरतमंद की मदद करते है। यही वजह है कि अब उनकी पहचान ‘एम्स में गरीबों के मसीहा संतदेव चौहान’ के रूप में हो गई है।

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