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गीताई सुनते हुए इस लोक से आज विदा हुए पवनार परमधाम आश्रम के साधक विवेकानन्द भाई

  • भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोबा भावे के निकट सहयोगी रहे थे विवेकानन्द भाई

कोयंबटूर। श्री विवेकानन्द भाई (91 वर्ष) कोयंबटूर तमिलनाडु के रहने वाले सबसे पुराने व्यक्ति थे, जो ग्राम सेवा मंडल द्वारा संचालित प्रेस में प्रकाशन का काम प्रारंभ से ही देखते थे। अत्यंत ही गहरे साधक बाबा विनोबा भाई के समय के व्यक्ति थे। पवनार ब्रह्मविद्या मंदिर की बहनों और भाइयों का अगाध स्नेह सम्मान विवेकानंद भाई के लिए था। आश्रम में वैसे तो देश भर के लोग उन्हें मिलने जाते थे, लेकिन अगर कोई दक्षिण भारत से आता तो वह उनसे जरूर मिलता था।

पिछले कई दिनों से वे अस्वस्थ चल रहे थे। धुलिया के साथी प्रणव शिंदे कल पवनार आश्रम पहुंच गए थे। विनोबा आश्रम शाहजहांपुर के कल्पनापुरुष रमेश भाई ने बताया कि उन्होंने कल ही विवेकानंद भाई से बात करने का प्रयास किया था। तब उनका बोलना भी संभव नहीं था। हां, उनके कान के पास गीताई का पाठ निरंतर चल रहा था। विवेकानंद जी के भाई के लड़के “भूपति” हमेशा आकर उनसे मिलते थे। इस महीने उन्हें आये हार्ट अटैक की बजह से, भूपति भाई नहीं आ पाये, लेकिन फोन पर जानकारी ले रहे थे। उनके भांजे पेरानंदन कल ही तमिलनाडु से पवनार पहुंच गए थे। प्रार्थना विष्णुसहस्त्रनाम गीताई का नियमित पाठ करने वाले विवेकानंद भाई की आज दोपहर ३:३० बजे जीवन यात्रा समाप्त हुई। गीताई सुनते हुए उन्होंने अपना देह त्याग किया ।

आज शाम 6 बजे उनका अग्नि संस्कार पवनार आश्रम परिसर में ही किया गया। विनोबा विचार प्रवाह परिवार और भाग्योदय फाउंडेशन परिवार ने उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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