पवन उपाध्याय।
दोहरीघाट, मऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने नगर विकास विभाग द्वारा दोहरीघाट मुक्तिधाम पर अन्त्येष्टि स्थल के निर्माण व सुंदरीकरण के लिए 28 लाख रुपये स्वीकृत किये हैं। जिसका स्थलीय निरीक्षण करने के लिए आज नगर विकास विभाग की टीम अधिशासी अधिकारी संजय जैसवार के नेतृत्व में जाकर स्थान का निरीक्षण कर जेई अशरफ द्वारा मैपिंग किया गया। सर्वे टीम ने बताया कि वर्षा और धूप में खुले में शवो को जलाने में हो रही परेशानी को देखते हुए वहा बड़ा टिन शेड व शव जलाने के लिये प्लेटफार्म तथा पेयजल व शौचालय का निर्माण किया जाएगा। विगत कुछ महीने पहले अपने बड़े भाई के अन्त्येष्टि में कैबिनेट मंत्री ए के शर्मा मुक्ति धाम पर आये थे और लोगों को खुले में शवों को जलाते हुए और भारी भीड़ देख कर लोगों के परेशानी से अवगत हुए थे और अपने विभाग द्वारा धन देकर निर्माण कराने का आश्वासन दिया था। कैबिनेट मंत्री द्वारा जनहित में सहयोग पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष संतोष राय, पूर्व चेयरमैन गुलाब गुप्ता, विकास वर्मा, सुशांत तिवारी, ओमप्रकाश सोनकर, रामप्रसाद, बबलू सोनकर आदि लोगों ने प्रसन्नता व्यक्त की।गौरतलब है कि मऊ जिला मुख्यालय से लगभग 43 किमी दूर उत्तरी सीमा पर स्थित ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल दोहरीघाट jnu के गौरीशंकर घाट पर स्थित शिव मंदिर आज भी आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां देर शाम तक दूर दराज से श्रद्घालुओं के आने का तांता लगा रहता है। वाराणसी में गंगा नदी की तरह यहां भी सरयू नदी भी उत्तरायण हो गई हैं। Dohrighat को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता यह है कि दोहरीघाट दो विष्णु (हरि) अवतार यहां मिले थे – छठा अवतार भगवान परशुराम, और 7 वां अवतार भगवान श्री राम। सीता जी के स्वंयवर के दौरान देवों के देव महादेव शिव जी का धनुष टूटने पर उनके अनन्य भक्त भगवान परशुराम जी अत्यधिक क्रोधित हो गये, मिथिला से अयोध्या का मार्ग दोहरीघाट होकर ही प्राचीन काल में हुआ करता था। मिथिला से लौटते समय, सीता-राम के विवाह के बाद वहीं सरयू नदी के तट पर भगवान राम एवं भगवान परशुराम जी की भेंट हुई। यहीं पर राम – परशुराम संवाद हुआ। इस प्रकार इस ऐतिहासिक स्थान को दोहरीघाट (दो हरि घाट) के नाम से जाना जाता है।