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Ram Mandir Nirman: विपक्षियों के बारे में आखिर क्या कह दिया यूपी सरकार के पूर्व अधिकारी ने….

यूपी सरकार के पूर्व अधिकारी आनन्द उपाध्याय ने कहा, “विपक्षी नेता बेहयाई छोड़कर प्रभु श्रीराम की शरण गहें, होगा कल्याण”

लखनऊ। वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य में भारत के पर्याय मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जी के बाल स्वरूप विग्रह की पावन प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक सुअवसर आ गया है। लगभग 550 वर्षों के दीर्घकालिक समयान्तराल के उपरान्त साधु-संतों, मनीषियों, आम नागरिकों, धार्मिक संगठनों के असीम त्याग बलिदान उत्सर्ग के पश्चात यह दिव्य पल सम्मुख आया है।

आजादी के बाद भी इस मुद्दे का हल निकालने की बजाय सरकारों ने छद्म सेकुलरिज्म के संक्रमण से ग्रसित होकर वोटबैंक और तुष्टीकरण की संकीर्ण व घृणित सोच के चलते निदान निकालने की जगह जानबूझकर अवरोध उत्पन्न करने का प्रयास किया। यही नहीं, बहुसंख्यक समाज के सचेत जागरूक सनातन

धर्म के शुभचिन्तकों को कानूनी पैरवी से रोकने के लिए तथाकथित धमकी व प्रलोभन के राजनीतिक व प्रशासनिक कुकृत्यों के जरिए भारी अवरोध पैदा किए गये। घोर तुष्टीकरण के वशीभूत होकर निहत्थे कारसेवकों पर जनरल डायर बनकर गोलियों की बौछार कर नृशंस हत्याकांड करवाकर बाकायदा बेहयाई पूर्वक इस कुकर्म को तब से अब तक संबंधित हुक्मरानों द्वारा इसे उचित ठहराने की निर्लज्ज हिमाकत किया जाना परिलक्षित है।

हद तो तब हो गई, जब इस देश की बहुसंख्यक जनता ने वोटबैंक के लिये अंधी सी हो चुकी सरकार के समर्थक नामीगिरामी भारी फीस के लिए जाने जाने वाले वकीलों की बाकायदा फौज सी सुप्रीम कोर्ट में खड़ी कर बाकायदा एफिडेविट दाखिल करवाकर भारत के पर्याय, देश की आत्मा सदृश्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी को काल्पनिक बताकर उनके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने का नितांत आसुरी मनोवृत्ति युक्त दुस्साहस कर डाला। सरकार लम्बे समय से लम्बित इस कानूनी परिवाद की सुनवाई अनन्त का तक टाल देने तक की औपचारिक अर्जी तक सुप्रीम कोर्ट की इंगित पीठ के समक्ष करते हुए अपनी निष्ठुरता की पराकाष्ठा का भौंडा प्रदर्शन भी किया।

अब जब माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सापेक्ष भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के चाक चौबंद प्रशासनिक व्यवस्था के दौर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा यथानिर्देशित व्यवस्था के अनुरूप राम जन्मभूमि न्यास के नेतृत्व में देश-विदेश में निर्वासित सनातन धर्म के अनुयायियों व समर्थकों के समर्पित आर्थिक अंशदान के माध्यम से दिव्य-नव्य-भव्य यह पावन स्थल गौरवपूर्ण परिवेश को साकार स्वरूप लेता 22 जनवरी के परम् शुभ व दैवीय आशीर्वाद प्राप्त मुहूर्त पर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जी के बाल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है, तब ऐसे दिव्य ऐतिहासिक सुअवसर का स्वागत कर अपने को परम सौभाग्यशाली मानकर सहभागी बनने की बजाय कुटिल राजनीतिज्ञों की एक जमात अपने वोटबैंक की हवस में अंधी होकर न सिर्फ ऐसे दुर्लभ पावन सुअवसर के कार्यक्रम के आमंत्रण को बेहयाई पूर्वक अस्वीकार कर बहिष्कार की आत्मघाती नौटंकीबाजी करती दृष्टिगत हो रही है, अपितु ऊलजलूल और ऊटपटांग कुतर्क गढ़कर अपने वैचारिक दारिद्रय व मानसिक दिवालियापन का भद्दा प्रदर्शन कर खुद-ब-खुद अपनी जगहंसाई कराती नजर आ रही है।

जब-तब मजारों पर जाकर तथाकथित चादरें चढ़ाकर फोटो खिंचवाने वाली राजनीतिक जमात हो या सरकारी पैसों के बल पर अपनी अपनी हुकूमत रहते पीएम/ सीएम/गवर्नर हाऊसों में रोजा इफ्तार की दावतों में शरीक होने वाले आज निर्लज्जता की सीमा पार कर ऐसे पावन व राष्ट्रीय तथा सांस्कृतिक महत्व के पावन आयोजन में लोकतांत्रिक तरीके से बहुमत के आधार पर सतत् चयनित देश के प्रधानमंत्री व संबंधित राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की सहभागिता पर प्रश्न करते किस नैतिकता को प्रदर्शित कर रहे हैं यह समझ से परे है। शायद आज देश की राजनीतिक पार्टियों के ऐसे तथाकथित छद्म सेकुलरिज्म के भद्दे और आउटडेटेड हो चुके मुखौटाधारी नेताओं को कदाचित इस सच्चाई का जरा भी भान नहीं रह गया है कि आज सूचना क्रान्ति व जानकारी भरे युग में उनकी अतीत में छद्म सेकुलरिज्म के नाम पर सतत् की जाती रही काली करतूतों का समूचा चिठ्ठा आम जनता खासकर आज के बहुसंख्यक समाज के सचेत किशोरों व युवाओं के लैपटॉप, टेबलेट और मोबाइल पर भरा पड़ा सबकी कलई खोलता परिलक्षित हो रहा है। स्वतःस्फूर्त तरीके से युवा इस आस्था के विषय के साथ खुद-ब-खुद सम्बद्ध होकर अपने चिरसनातन धर्म, आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक गौरव के ऐतिहासिक पल से आत्मीय रूप से जुड़ाव महसूस कर अपनी सहभागिता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अर्पित करने के ऐसे सुअवसर से वंचित नहीं होना चाहता है।

वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वजनः सुखिनः भवन्तु की उदात्त व विराट भावना से ओतप्रोत कालजयी सनातन धर्म और तर्क व वैज्ञानिक आधार पर सुस्थापित भारतीय जीवन दर्शन और संस्कृति के मूल आधार मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम सबको सन्मति प्रदान करें, आज भारत का प्रत्येक सनातनी यही कामना करते हुए भारत ही नहीं वरन विश्व की समूची मानव जाति व जीवों तथा वानस्पतिक तथा प्रकृति से जुड़े समस्त अवयवों के कल्याण और मंगल की कामना करता है।

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