अगर आप इन समस्याओं से ग्रसित हैं तो समाधान के लिए ऐसे करें वैदिक मंत्रोच्चार एवं अनुष्ठान

वाराणसी। ज़िन्दगी की भागदौड़ में इंसान कई तरह की समस्याओ से जूझता है। खास तौर से जीवन में तरक्की पाने के लिए लोग क्या नहीं करते। लेकिन कई बार उन्हें सफलता नहीं मिलती है। अगर आप इन समस्याओं से ग्रसित हैं तो समाधान के लिए ऐसे करें वैदिक मंत्रोच्चार एवं अनुष्ठान। दरअसल मत्स्य पुराण में 19 प्रकार की शांति का वर्णन है ।

  • अभया शांति : भीतरी एवं बाहरी शस्त्र भय उपस्थित होने पर राज्य में अभया शांति करनी चाहिएl
  • सौम्या शांति : राज यक्षमा रोग की शांति के लिए की जाती है।
  • वैष्णवी शांति : भूकंप, दुर्भिक्ष ,अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि की शांति के लिए की जाती है ।
  • रौद्री शांति : पशु एवं मानव की महामारी की शांति हेतु, भूत प्रेत आदि के उपद्रव आदि में करते हैं।
  • ब्राहमी शांति : इसकी व्यवस्था वेद अध्ययन के नष्ट होने पर, नास्तिकता का प्रसार होने पर, धार्मिक एवं सांस्कृतिक आक्रमण होने पर अर्थात स्वदेशी संस्कृति के स्थान पर विदेशी संस्कृति का प्रचार-प्रसार होने पर तथा बुरे विचारों एवं आचार वाले लोगों का सम्मान होने पर करने का विधान है ।
  • वायवी शांति : वात रोगों के फैलने पर करनी चाहिए
  • वारुणी शांति : अनावृष्टि तथा असामान्य वृष्टि में करते हैं।
  • प्रजापत्य शांति : असामान्य प्रजनन, प्रसव आदि में करते हैं।
  • तवाष्ट्री शांति : उपकरणों तथा अस्त्र शस्त्रों की असामान्यता में होती है।
  • कौमारी शांति : बालकों के उपद्रव को दूर करने के लिए होती है ।
  • आग्नेयी शांति : बार-बार होने वाले अग्निकांडो की शांति के लिए की जाती है।
  • गांधर्व शांति : कर्मचारियों द्वारा बिना उचित कारण के आज्ञा उल्लंघन करने पर, नागरिकों में विद्रोह या आंदोलन अकारण होने पर की जाती है ।
  • आंगिरसी शांति : हाथियों के विकृत होने पर या बड़े वाहनों की कारण दुर्घटना होने पर की जाती है ।
  • नैऋति शांति : पिशाच के भय में , मानव अंगों एवं पशु आदि की तस्करी की अधिकता होने पर की जाती है ।
  • याम्या शांति : इसकी व्यवस्था मृत्यु या दुस्वप्न की घटनाओं में होती है।
  • कौबेरी शांति : जब धन की हानि हो तथा वित्त व्यवस्था गड़बड़ हो तब करनी चाहिए ।
  • पार्थिवी शांति: वृक्षों की असामान्य दशाओं में पार्थिवी शांति करनी चाहिए ।
  • ऐन्द्री शांति : ज्येष्ठा एवं अनुराधा नक्षत्र में उत्पात होने पर तथा गृह युद्ध आदि की शांति के लिए करनी चाहिए।
  • भार्गवी शांति: अभिशाप के भय में भार्गवी शांति का विधान है।

    प्राध्यापक- हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, वाराणसी। निदेशक-काशिका ज्योतिष अनुसंधान केंद्र, वाराणसी।। मो0- 9450209581/8840966024
    आचार्य पं0 धीरेंद्र कुमार पांडेय

प्राध्यापक- हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, वाराणसी।
निदेशक-काशिका ज्योतिष अनुसंधान केंद्र, वाराणसी।।
मो0- 9450209581/8840966024

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