London Escorts sunderland escorts 1v1.lol unblocked yohoho 76 https://www.symbaloo.com/mix/yohoho?lang=EN yohoho https://www.symbaloo.com/mix/agariounblockedpvp https://yohoho-io.app/ https://www.symbaloo.com/mix/agariounblockedschool1?lang=EN

यूनिफाॅर्म सिविल कोड विषय पर परमार्थ निकेतन में पत्रकार वार्ता का आयोजन मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी और प्रदेशवासियों को यूनिफाॅर्म सिविल कोड के लिये बधाईयाँ

  • परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पत्रकारों को किया सम्बोधित
  • स्वतंत्र भारत में उत्तराखंड यूसीसी को लाने वाला प्रथम राज्य
  • समानता, समरसता और सद्भाव कायम करेगा यूनिफाॅर्म सिविल कोड
  • विविधता में एकता, एकता व अखंडता का जश्न है समान नागरिक संहिता
  • एक राष्ट्र, एक विधान और एक निशान
  • सब समान, सबका सम्मान यही है भारत का संविधान
  • समान नागरिक संहित सियासत का नहीं विरासत का विषय– स्वामी चिदानन्द सरस्वती
  • लिव – इन रिलेशनशिप पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा ’’यह अनुबंध नहीं संबंध है’’
  • भारतीय संस्कृति में शादी-विवाह कॉन्ट्रैक्ट नहीं कनेक्शन है दो व्यक्तियों, दिलों, परिवारों और दो समुदायों का

ऋषिकेश, 7 जनवरी। उत्तराखंड में यूनिफाॅर्म सिविल कोड विषय पर पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये माननीय युवा मुख्यमंत्री, उत्तराखंड श्री पुष्कर सिंह धामी जी और प्रदेशवासियों को यूनिफाॅर्म सिविल कोड के लिये बधाईयाँ दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्र एक नई करवट ले रहा है ऐसे में दढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति की जरूरत है। यह ऐतिहासिक निर्णय लेकर माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कमाल कर दिया; धमाल मचा दिया। यह समय शंका व शक का नहीं बल्कि हक का है।

पत्रकार वार्ता में स्वामी जी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चर्चा करते हुये कहा कि हमारे पास प्राकृतिक संसाधन सीमित है और जनसंख्या वृद्धि से संसाधनों पर जोर पड़ रहा है, समय से पहले समाप्त हो रहे हैं इसलिये एक सख्त कानून की जरूरत है। अब समय आ गया कि ’’हम दो हमारे दो और सब के दो! जिसके दो उसी को दो’’ नहीं तो हमारी आगे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता। इस अवसर पर उन्होंने वाणी प्रदूषण, विचार प्रदूषण और वायु प्रदूषण न फैलाने का संदेश देते हुये कहा कि भारत शौर्य के साथ धैर्य की भी भूमि है। इस समय भारत की विशालता को भारत की दृष्टि से देखने की जरूरत है।

ज्ञात हो कि समान नागरिक संहिता का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में किया गया है, जो राज्य की नीति के निदेशक तत्व के अन्तर्गत है। जिसमें कहा गया है कि ‘‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिये एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।’’

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम। दूसरे शब्‍दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून का होना।

यूसीसी लागू करने से राष्ट्रीय अखंडता और लैंगिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा। यह धार्मिक स्वतंत्रता और विविधता के लिये खतरा नहीं है बल्कि इससे एकता, एकरूपता और सद्भाव के वातावरण का निर्माण होगा। समान नागरिक संहिता से पूरे देश के लिये एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि कानूनों में भी एकरूपता प्रदान होगी और धार्मिक विभाजन को कम करने में मदद मिलेगी, परस्पर विश्वास प्रगाढ़ होगा, धार्मिक रूढ़िवादिता के बजाय लोकहित के कार्य होगे। यूसीसी का प्रवर्तन कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करेगा, कानूनों को सरलीकृत करेगा और धर्मनिरपेक्षता के आदर्श का पालन करते हुए लैंगिक न्याय को सुनिश्चित करेगा। साथ ही समानता, बंधुता और गरिमा के संवैधानिक मूल्यों को भी संपुष्ट करेगा। महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव और उत्पीड़न को दूर करके लैंगिक न्याय एवं समानता सुनिश्चित करेगा।

जिस प्रकार स्कूलों में बच्चों की यूनिफार्म एक जैसी होती है उसी प्रकार देश में कानून एक जैसा होगा तो एकरूपता आयेगी। अगर एक ही स्कूल में जाति या धर्म में आधार पर ड्रेस कोड होता तो स्कूलों का माहौल क्या होता। वही देश पर भी लागू होता है इसलिये यूसीसी जरूरी है।

अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी. इससे वे कम से कम ग्रेजुएट तक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगी. वहीं, गांवों और छोटे शहरों के स्‍तर तक शादी के पंजीकरण की सुविधा पहुंचाई जाएगी। उत्‍तराधिकार में बेटा और बेटी को बराबर का हक होगा। मुस्लिम बहनों को बच्‍चे गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा. उन्‍हें हलाला और इद्दत से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा। लिव-इन रिलेशन में रहने वाले सभी लोगों को डिक्लेरेशन देना पड़ेगा इससे भारतीय संस्कृति बची रहेगी। पति और पत्‍नी में अनबन होने पर उनके बच्‍चे की कस्‍टडी दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी को दी जाएगी। बच्‍चे के अनाथ होने पर अभिभावक बनने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

यूसीसी एक आधुनिक प्रगतिशील राष्ट्र का संकेत है जिसका अर्थ है कि इससे जातिगत और धार्मिक राजनीति को रोका जा सकेगा। आईये भारत की प्रगतिशील राष्ट्र की यात्रा में अपना सहयोग प्रदान करे।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

22,046FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles