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‘हमारी काशी हमारे देवालय’ महाअभियान का शुभारम्भ 

  • अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व श्रीकाशी विद्वत्परिषद सम्भालेंगी कमान

वाराणसी। विश्वनाथ गली स्थित बन्द पड़े मकान डी 11/20 में स्कन्द पुराण के काशीखण्ड में उल्लेखित आदि विनयाक गणेश एवं त्रिभुवनेश्वर महादेव का पूजन कर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहन्त रवीन्द्र पुरी जी महाराज, अखिल भारतीय सन्त समिति के महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज, अन्नपूर्णा मन्दिर के महन्त स्वामी शंकर पुरी जी महाराज एवं श्री काशी विद्वत् परिषद् के महामन्त्री प्रोफे. राम नारायण द्विवेदी जी ने ‘हमारी काशी हमारे देवालय’ अभियान का शुभारम्भ किया। काशी के उपेक्षित एवं नित्य की विधिवत पूजा, भोग-राग, आरती से वञ्चित काशी के मन्दिरों की सुचारू व्यवस्था के लिए दिसम्बर महीने में सन्तों ने इस अभियान की घोषणा की थी।

इस अभियान के अन्तर्गत धर्मनगरी काशी के उपेक्षित पड़े देवालयों में पूजन और पुजारी दोनों का योगक्षेम अखिल भारतीय सन्त समिति वहन करेगी। ऐसे देवालयों, शिवालयों में पूजा, आरती एवं शृंगार-भोग के लिए प्रतिमाह ढाई हजार रुपया व सेवारत पुजारी को पाँच हजार रुपये मानदेय स्वरूप प्रतिमाह दिए जाएँगे।पहले चरण में काशी के एक सौ आठ मन्दिरों से इसका प्रारम्भ हो रहा है। अखिल भारतीय सन्त समिति धर्मरक्षार्थ संकल्प की पूर्णता के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ मिलकर यह अभियान चलाएगी। श्रीकाशी विद्वत्परिषद के मार्गदर्शन में चलने वाले इस अभियान को ‘हमारी काशी हमारे देवालय’ नाम दिया गया है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व महानिर्वाणी अखाड़े के महासचिव श्रीमहन्त रवीन्द्र पुरी जी ने कहा कि अभियान में काशी के उपेक्षित देवालय व्यवस्थित किए जाएँगे। ऐसे देवालयों में नियमित पूजन-अर्चन शृंगार आरती का प्रबन्ध किया जाएगा। जहाँ पुजारी नहीं है वहाँ पुजारियों की नियुक्ति की जाएगी। श्रीकाशी विद्वत्परिषद के महामन्त्री प्रोफे. रामनारायण द्विवेदी व गंगा महासभा के संगठन महामन्त्री गोविन्द शर्मा के नेतृत्व में एक समिति इस तरह के मन्दिरों का चयन करेगी। आर्थिक प्रबन्धन महानिर्वाणी अखाड़ा करेगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से इस पुनीत कार्य में बढ़-चढ़ कर सहभागिता करने का आह्वान किया।

स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती जी ने बताया कि यह अभियान धर्मरक्षा एवं जनजागरण की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आगे चलकर स्थानीय लोगों की दस सदस्यीय समितियाँ बनायी जाएँगी जो मन्दिरों में पूजा आरती के प्रबन्ध की चिन्ता करेंगी।

प्रोफे. रामनारायण द्विवेदी जी ने बताया कि पिछले वर्ष काशी में आयोजित संस्कृति संसद में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवीन्द्र पुरी जी ने यह संकल्प व्यक्त किया था।अब दूरदर्शी सोच के साथ योजनापूर्वक एवं चरणबद्ध से इसे मूर्त रूप देने की दिशा में कार्य प्रारम्भ हो रहा है। धर्मनिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री विपिन सेठ इस अभियान के संयोजक बनाये गये हैं।

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