नशा, नाश का मूल है – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 10 मार्च। परमार्थ निकेतन, 32 वाँ आनॅलाइन अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के चैथे दिन की शुरूआत संगीत से हुई। मूल रूप से टेक्सास और वर्तमान में लॉस एंजिल्स में रहने वाली प्रसिद्ध संगीतज्ञा डाफ्ने के मधुर संगीत के साथ योग और ध्यान के सत्र का शुभारम्भ हुआ।

आज 10 मार्च को ‘नो स्मोकिंग डे’ के अवसर पर अमेरिकी प्रसिद्ध योग प्रशिक्षक और व्यसन विशेषज्ञ टोमी रोसेन ने योग और ध्यान के माध्यम से व्यसन मुक्त होने का अभ्यास कराया। नो स्मोकिंग डे मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि बीड़ी, सिगरेट और अन्य तरीकों सेे तंबाकू के सेवन से स्वास्थ्य पर होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जनमानस में जागरूकता फैलाना ताकि धूम्रपान करने वाले जागरूक हो और इस आदत से छुटकारा पा सके। धूम्रपान न केवल फेफड़ों को बल्कि आपके पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से योग जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि ’’नशा, नाश का मूल है’’। नशा किसी भी तरह का हो वह विनाश की ओर ही ले जाता है। स्वामी जी ने कहा कि ध्यान और योग की शक्ति बहुत अद्भुत है जो सारे तनाव को दूर कर शरीर की प्राकृतिक क्षमताओं को विकसित करती है।
नशा करने वाले सोचते हैं कि नशा आनन्द देगा इससे मनोरंजन होगा एवं अच्छा महसूस होगा परन्तु उन्हें अंत में खुशी महसूस नहीं होती बल्कि चिंता, अवसाद, क्रोध, अकेलापन, ऊब, आदि असहज और विचलित करने वाली दर्दनाक भावनाओं उत्पन्न होनेे लगती है और जीवन में शून्यता बढ़ने लगती है। नशाखोरी व्यक्ति को हिंसक अपराधों, हिंसा, गरीबी, पीड़ा और पतन की ओर ले जाती है इसलिये योग और ध्यान के माध्यम से जीवन में नई ऊर्जा की ओर बढ़े इससे जीवन में खुशियों आयेगी तथा इससे हमारे व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं बल्कि हमारे पूरे समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
प्रसिद्ध कुंडलिनी योग प्रशिक्षक और व्यसन विशेषज्ञ टोमी रोसेन ने व्यसनों, ड्रग्स, शराब और स्मोकिंग से निपटने के लिये प्ररित करते कहा कि योग की शक्ति से व्यसन मुक्त हुआ जा सकता है। योग के माध्यम से व्यक्तिगत जीवन में परिवर्तन कर व्यसनमुक्त जीवन का आनन्द लिया जा सकता है। योग आंतरिक जीवन के प्रबंधन का सबसे उपयुक्त माध्यम है तथा व्यसनों से मुक्त होने का सबसे व्यवस्थित और सुरक्षित तरीका भी योग ही है। योग और ध्यान के लंबी अवधि तक अभ्यास से जीवन में आश्चर्यजनक और स्पष्ट परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
परमार्थ निकेतन में होने वाला 32 वां वार्षिक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव कोविड-19 के कारण 7 से 14 मार्च तक ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है। विगत वर्षो की तरह ही विश्व के 25 से अधिक देशों के 90 से अधिक पूज्य संत, महापुरूष, विद्वान, योगाचार्य, योग जिज्ञासुओं, पर्यावरणविद्, संगीतज्ञ, योग जिज्ञासुओं का ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से मार्गदर्शन कर रहे हैं ताकि हजारों साधक इस महामारी के दौर में भी लाभांवित हों सके।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

22,046FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles