सोच बदलेगी तो गंगा की दशा भी बदलेगी – स्वामी चिदानंद सरस्वती

  • स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से नमामि गंगे मिशन टीम लीडर डा. रविन्द्र बोहरा जी ने भेंट की
  • स्वलिखित पुस्तक ’वेदान्त दर्शन और मोक्ष चिन्तन‘ की कृति भेंट की
  • नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, गंगा ग्राम विकसित करने पर हुई चर्चा

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से टीम लीडर, नमामि गंगे मिशन, पेयजल स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. रवीन्द्र बोहरा जी ने भेंट कर आशीर्वाद लिया। डा. बोहरा ने अपनी पुस्तक ’वेदान्त दर्शन और मोक्ष चिन्तन‘ स्वामी चिदानंद सरस्वती जी को भेंट की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, गंगा ग्राम विकसित करने, गंगा ग्राम पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित करने तथा गंगा किनारे – किनारे के गांवों में हर्बल और मेडिसन प्लांट्स को अधिकाधिक मात्रा में लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में माँ गंगा के तटों पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत रुद्राक्ष वन तैयार किये जा सकते हैं। साथ ही माँ गंगा सहित अन्य नदियों के प्रदूषित हो रहे जल के विषय में चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि गंगा किनारे स्थित शहरों, कस्बों और गांवों में आधुनिक तकनीक से युक्त शवदाहगृहों को लगाकर काफी मात्रा में जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ऋषिकेेश, हरिद्वार, वाराणसी आदि अन्य तीर्थ क्षेत्रों में वर्ष भर लाखों तीर्थ यात्री आते हैं अतः गंगा के प्रदूषण की समस्या का समाधान करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ सार्वजनिक-निजी-भागीदारी नितांत आवश्यक है। स्वामी जी नेे कहा कि माँ गंगा की समग्र स्वच्छता और जल के   संरक्षण के लिये जन भागीदारी के साथ बेहतर और टिकाऊ प्रयासों की जरूरत है। बेहतर परिणाम हासिल करने लिये माँ गंगा के दोनों ओर वृक्षारोपण, जैविक खेती जैसे अहम् बदलाव करने होंगे। माँ गंगा के किनारे बसे लोगों को ‘स्वच्छ गंगा मिशन’ में शामिल किया गया यह सराहनीय प्रयास है साथ ही उन्हें जैविक खेती हेतु प्रशिक्षित किये जाने की भी जरूरत है तभी जमीनी स्तर पर बदलाव लाया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा स्वतः ही स्वच्छ हो जायेगी परन्तु जरूरत है तो जनमानस की सोच बदलने की। सोच बदलेगी तो गंगा की दशा भी बदलेगी और जनमानस को दिशा भी मिलेगी।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने डा. बोहरा जी को उनकी पुस्तक ’वेदान्त दर्शन और मोक्ष चिन्तन‘ के लिये शुभकामनायें देते हुये कहा कि यह कृति युवा पीढ़ी को वेदान्त को समझने में मददगार सिद्ध होगी तथा युवा चितंन को परिष्कृत करने का अनुपम कार्य करेगी।

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