- सनातन परंपरा एवम समाजसेवा में थी गहरी रुचि
शुभम बाधवानी।
मऊ। सिन्धी समाज के सबसे बुजुर्ग सतन मल सिन्धी का निधन हो गया। दिवंगत सत्तन मल सिंधी की उम्र 95 से 100 वर्ष तक बतायी जा रही है।
पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में जन्मे सतन मल 1947 के विभाजन की तकलीफ सहने के बाद वहां पर अपनी सारी सम्पत्ति छोड़कर परिवार सहित हिन्दुस्तान चले आये। वे उत्तरप्रदेश के मऊ नाथ भंजन आकर बस गये। सतन मल शुरू से ही संघर्षशील व ईमानदार छवि के थे। ये सिन्धी भाषा के जानकार थे। शुरू से ही धार्मिक व सामाजिक कार्यो मे इनकी विशेष रूचि थी। माता रानी की पूजा व सेवा कार्य बहुत ही ईमानदारी पूर्वक करते थे, जिस वजह से माता रानी का भी इनके ऊपर बहुत ज्यादा दया बनी हुई थी।
भक्ति भाव व सबसे बुजुर्ग होने के कारण इनको सिन्धी समाज में गुरु का दर्जा प्राप्त था। दुर्गा पूजा मे भसान के दिन रात भर मूर्ति विसर्जन मे भी सबके साथ चलते थे। सिन्धी समाज ने समाज की रीति रिवाजों के सम्पूर्ण जानकार अथवा गुरु को खो दिया है। जिस कारण से समाज की भारी क्षति हुई है। इनका दाह संस्कार गाजीपुर के मां गंगा के पावन तट पर किया गया।