मथुरा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक बार फिर आई सामने

मथुरा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक बार फिर आई सामने

  • महावन कस्बे के चार लोगों की कोरोना रिपोर्ट पहले आई नेगेटिव बाद में आई पॉजिटिव
  • महावन कस्बे के रहने वाले 4 लोगों के बिना सैंपल दिए ही स्वास्थ विभाग ने रिपोर्ट कर दी नेगेटिव
  • खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप मुख्य चिकित्सा अधिकारी हुई मौन

मथुरा/ मदन सारस्वत। जबसे कोरोना की दूसरी लहर शुरू हुई है तब से मथुरा जिले में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों के मिलने का सिलसिला निरंतर जारी है मथुरा जिले से रोजाना सैकड़ों मरीज कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग का एक कारनामा उजागर हुआ है जिस पर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी लीपापोती करने में जुट गए है।और एक दूसरे पर इस मामले को धकेल रहे हैं यह
मामला बलदेव सीएचसी के महावन क्षेत्र का है यहां के चार लोग अनीता कमला नितेश और प्रिंसी की महावन सीएससी प्रभारी डॉ गोपाल गर्ग ने दिनांक 4 अप्रैल को कोरोना का सैंपल लिया था जिसकी रिपोर्ट 9 अप्रैल को पॉजिटिव आई थी लेकिन स्वास्थ विभाग की लचर कार्यप्रणाली के चलते इन्हीं चार लोगों की 8 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई जिसमें ऑनलाइन 5 अप्रैल को इनके सैंपल लेने शो हो रहे थे जबकि चारों लोगों का कहना है कि उनके सैंपल 4 अप्रैल को लिए गए थे 5 अप्रैल को तो किसी ने सैंपल लिया ही नहीं।
स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही के कारण कोरोना संक्रमित व्यक्ति की रिपोर्ट नेगेटिव कर दी गई और सबसे बड़ी बात है कि इन चारों लोगों की जब रिपोर्ट नेगेटिव आई तो यह लोगो को पता नहीं कितने लोगों के संपर्क में आए होंगे और कितने लोगों को कोरोना संक्रमण किया होगा
पूरे मामले पर सीएससी बलदेव प्रभारी डॉ गोपाल गर्ग ने अपना बचाव करते हुए कहा कि इसमें उनके सीएससी का कोई लेना देना नहीं है इसमें सीएमओ ऑफिस में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर और वहां के प्रभारी डॉ मनीष और उसका लेना देना है क्यो कि रिपोर्ट डॉ मनीष ही अपलोड करते है वहीं इसके बारे में जवाब दे पाएंगे।
जब इसकी जानकारी करने हम सीएमओ ऑफिस गए तो प्रभारी डॉ रचना गुप्ता ने संतोषजनक जवाब ना देते हुए कहा कि मेरे पास समय नहीं है मैं किसी भी बात का जवाब देने में असमर्थ हूं। जबकि देखा गया है कि अगर जिले में स्वास्थ्य विभाग से संबंधित कोई भी परेशानी होती है तो उसकी जिम्मेदारी वर्तमान पद पर बैठने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी की होती है वही इस प्रकरण में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रचना गुप्ता ने सभी बातों से पल्ला झाड़ कर अपनी जिम्मेदारी का बखूबी से बचाव किया है।
वही पूरे प्रकरण पर डॉक्टर मुनीश पौरुष का कहना है कि यह डाटा फीडिंग की गलती है हो जाती है वह सारे मामले की जानकारी कर रही हैं और जो भी व्यक्ति इसमें दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी जबकि जबकि यह मामला इन अधिकारियों के अनुसार सिर्फ एक गलती हो सकती है मगर यह गलती नहीं है क्योंकि जिस तरीके से 4 लोगों का नेगेटिव आना और उन्हीं लोगों का फिर पॉजिटिव हो जाना यह स्वास्थ्य विभाग पर सवालिया निशान पैदा करता है कि आखिर इतनी बड़ी गलती हुई तो कहां से हुई इसका जवाब देने के लिए सभी अपना बचाव कर रहे हैं इस तरह के अगर सेंपलिंग और रिपोर्ट आ रही है उससे तो यही लगता है कि कहीं ना कहीं स्वास्थ्य विभाग लापरवाह बना हुआ है वही ऐसे मामलों पर सीएमओ मीडिया से बचते हुए नजर आती हैं।

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