- नैतिकता संस्कार सदाचार से ही पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पच्चीसवीं पुण्य तिथि पर मानस प्रवचन
दोहरीघाट। रामचरितमानस युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का दर्शन रामचरित मानस की चौपाइयों में समाहित है। देश के नौजवान सत्संग के माध्यम से रामचरितमानस की चौपाई श्रवण करें तो भारतीय संस्कृत, सनातन धर्म सदैव सुरक्षित रहेगा।
बिनु सत्संग विवेक न होई उक्त बातें रामलीला मैदान गोठा के प्रांगण में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व पारख चंद्रगुप्त व उनकी पत्नी बेइला देवी के 25 पुण्य तिथि पर चल रही तीन दिवसीय मानस प्रवचन के दूसरे दिन देवरिया से पधारे पं अखिलेश मणि शांडिल्य ने कही। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि बिना सत्संग के विवेक नहीं मिलता है मानस की कथा श्रवण से मनुष्य के अंदर के पाप ताप संताप दूर होते हैं। रामचरितमानस श्रवण से संस्कार बनते हैं। श्रोताओं ने भरपूर तालियों से उनका स्वागत किया। जय श्री राम के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। उक्त अवसर पर शिवेंद्र गुप्ता, सुजीत, नरदेश्वर राय , कपूरचन्द गुप्ता, मनीष यादव , पवन उपाध्याय आदि लोगों द्वारा शान्डिल्य जी का माल्यार्पण किया गया।
संगीतमय रामकथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि संस्कारित बच्चों को देखकर माता पिता, पूर्वज भी प्रसन्न होते है। पूर्वजों के लिए पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि होती है जो लोग
सर्वे भवंतु सुखन सर्वे संतु निरामया की भावना को लेकर काम करते हैं वे सच्चे समाज के हितैषी होते हैं। जब समाज सुखी रहेगा तो हर व्यक्ति सुखी रहेगा। किसी को किसी चीज की कमी नहीं रहेगी। मनुष्य अगर छल कपट, ईष्र्या बुराई लोगों से करेगा वह पूजा पाठ करने से कभी खुश नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा भावी पीढ़ी ऐसा काम करें जिससे माता-पिता का नाम रोशन हो सके। अपने पूर्वजों को कथा सुनाने वाले लोग संस्कारित होते हैं ऐसे कम लोग मिलते हैं जो पुण्यात्मा बने। गायको ने भी भजन के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उक्त अवसर पर शिवेंद्र नारायण गुप्त, सुभाष गुप्त, संजय उपाध्याय, दिनेश दुबे, मुरलीधर, मनीष, प्रेमचंद पांडे, मयंक दुबे सहित लोग उपस्थित रहे।