“गोंठा रामलीला मैदान प्रांगण में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पारसचंद गुप्त की पच्चीसवीं पुण्य तिथि पर चल रहे तीन दिवसीय मानस प्रवचन के पहले दिन कथा वाचक पं0 अखिलेश मणि शांडिल्य ने कहा रामकथा वह आईना है जो आपके चरित्र को दर्शाता है”
दोहरीघाट। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय पारस चंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी स्वर्गीय बेईला देवी की 25वीं पुण्यतिथि पर तीन दिवसीय मानस कथा का आयोजन गोंठा के रामलीला मैदान प्रांगण में किया जा रहा है। मानस कथा के पहले दिन मानस कलश कुम्भ कहे जाने वाले देवरिया शुभाश्रम सिरजम आश्रम से पधारे पं अखिलेश मणि शांडिल्य ने श्री राम जय राम जय जय राम भजन के साथ कथा की शुरुआत की।
कथावाचक पं अखिलेश मणि शांडिल्य द्वारा कही जा रही मानस कथा संस्कारो के इर्द गिर्द घुमती रही। रामकथा को आगे बढ़ाते हुए पं अखिलेश मणि शांडिल्य ने कहा कि धन्य है गोंठा गांव के वह लाल जो अपने पुरखों को रामकथा सुना रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अपने चरित्र को मजबूत करो यही पुरखों को सबसे बड़ी श्रद्धांजली है जिनके नाम पर रामकथा का आयोजन किया जा रहा है। शांडिल्य जी ने कहा कि कथा विवेक को पैदा करती है। अगर आपको संस्कार हीनता की कहानी पढ़नी है तो महाभारत है। किस तरह से सभ्यताएं बर्बाद होती है यह महाभारत में है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस मानस संस्कार सिखाती है, मानस पढ़ो। आगे उन्होंने कहा कि जिसने जीव को नहीं समझा तो वो शिव को क्या समझेगा। कथा के दौरान उन्होंने वहां मौजूद श्रोताओं से कहा “अन्दर की कालिख ना धोई तो गंगा मे डुबकी लगाने से नहीं धुलेगी। मातृत्व प्रेम वात्सल्य का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा “मां तो मां होती है मां के तमाचे में मुहब्बत होती है और दुश्मन के प्यार में नफरत छिपी होती है।” आज के दौर में टूट रहे घर, आपस की लड़ाई, भाई भाई में वे वजह टकराहट, पति पत्नी के बीच हो रहे कलह, सास बहू के झगड़े को लेकर उन्होंने कहा कि “कभी भी अपनी जिन्दगी में मंन्थराओ को जगह मत दो। ये तुम्हारा घर बार सब बर्बाद कर देंगी।” प्रवचन कर्ता ने पहले ही दिन अपने मुखार बिंदु से सनातन संस्कृति की अमित छाप छोड़ दी। वहीं कथा के अंत मे आरती व प्रसाद वितरण किया गया।
गौरतलब है कि महान विद्वान मानस किंकर के मंच पर पधारते ही श्रोताओं ने भरपूर तालियों से उनका स्वागत किया। वहीं पूर्व प्रधान विजेन्द्र राय द्वारा शान्डिल्य जी का माल्यार्पण किया गया।
इस दौरान मुख्य यजमान, सुभाष चन्द्र गुप्ता, शिवेंद्र गुप्ता, देवेंद्र गुप्ता, श्याम सुंदर मौर्या, विजेन्द्र राय, मुरलीधर गुप्ता, आशीष, मनोज, बंटी, मनीष, सुजीत, विवेक गुप्ता, मनोज गोंड, आनंद राय, राम निवास, विनय, संजय उपाध्याय समेत बड़ी तादाद में मानस कथा श्रोतागण मौजूद रहे।