- श्री श्री रविशंकर जी भगवान महावीर जयंती एवं आचार्य लोकेशजी के षष्ठीपूर्ति समारोह में भाग लेंगे
- बैंगलोर के आर्ट ऑफ लिविंग मुख्यालय में त्रिवेणी संगम
- चारों ओर मास्क का पहनावा देखकर लगता है सभी जैन बन गए है – श्री श्री रविशंकरजी
नई दिल्ली/ बैंगलोर। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक पूज्य श्री श्री रविशंकरजी, अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैनाचार्य डॉ लोकेशजी एवं युवाचार्य अभयदास जी महाराज का बैंगलोर आश्रम में मिलन हुआ। इस अवसर पर रुद्र पूजा के पश्चात तीनों ही संतों के बीच में पर्यावरण, स्वास्थ्य, जैन जीवन शैली एवं भारतीय चिकित्सा प्रणाली आदि विषयों पर गंभीर व ज्ञानवर्धक चर्चा हुई । इसी दौरान, रुद्र पूजा में भाग ले रहे उपस्थित श्रद्धालुओ की ओर (जो कोरोना महामारी के चलते मास्क पहने हुए थे) इशारा करते हुए श्री श्री ने कहा कि चारों ओर मास्क का पहनावा देखकर लगता है कि सभी जैन बन गए है । उन्होने जैन जीवन शैली पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हजारों वर्ष पूर्व रात्री भोजन एवं मांसाहार का निषेध, शाकाहार भोजन एवं गरम पानी का सेवन तथा मास्क का उपयोग आदि पर बल दिया गया जो कोरोना काल में बचाव हेतु वेज्ञानिक दृष्टि से उपयोगी सिद्ध हुए है। श्री श्री रविशंकर ने इस अवसर पर आचार्या श्री एवं युवाचार्य श्री को आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक औषधि, साहित्य एवं उपहार भेंट स्वरूप प्रदान किया।
इस अवसर पर आचार्य डॉ लोकेशजी ने दिल्ली में आयोजित होने वाले भगवान महावीर जन्म जयंती समारोह में श्री श्री रविशंकर जी को आमंत्रित किया, जिसे उन्होने सहज स्वीकार किया । युवाचार्य अभयदास जी महाराज ने उन्हें हरिद्वार में कुम्भ के अवसर पर आयोजित हो रही जल धर्म संसद हेतु आमंत्रित किया।
आचार्य लोकेशजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए हमे अपनी जीवन शैली पर ध्यान देना होगा | भगवान महावीर ने कहा कि पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति सभी जीव है| आवश्यकता से अधिक इनका उपयोग न करे| उनका कथन था कि सीमित पदार्थ आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते है परंतु असीम इच्छाओं की पुर्ति नहीं कर सकते| उन्होने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए एवं जीवन शैली को स्वस्थ बनाने हेतु नीति बनाना आवश्यक है और शिक्षा के साथ भी इसे जोड़ना जरूरी है | युवा पीढ़ी को जल, वायु, पृथ्वी,अन्तरिक्ष को सुरक्षित रखने के दायित्व को समझाना भी आवश्यक है।
युवाचार्य अभयदास जी महाराज ने श्री श्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हरिद्वार के चेतन ज्योति आश्रम में आयोजित हो रहा ‘जल धर्म संसद’ एवं भव्य “आपणों कुम्भ महोत्सव” में उनका आगमन लोगो में नई चेतना को उजागर करेगा।
इस अवसर पर, तीनों ही संतों की चर्चा सुनकर उपस्थित सभी भक्तजन भावविभोर थे। ऐसा लग रहा था कि ज्ञान के इस त्रिवेणी संगम के बीच चर्चा चलती रहे, ज्ञान का यह निर्झर बहता रहे। काश ! समय ठहर जाये पर समय कहाँ ठहरता है। आख़िर समय के अनुशासन से बंधे तीनों ही संतों पूज्य श्री श्री जी, पूज्य आचार्य लोकेशजी एवं युवाचार्य अभयदासजी ने अगले गंतव्य की ओर प्रस्थान किया ।