जबलपुर। राष्ट्रीय स्वभिमान आंदोलन के संस्थापक संरक्षक श्री के एन गोविंदाचार्य जी की नर्मदा दर्शन यात्रा और अध्ययन प्रवास का आज 20 वां दिन है। 20 फरवरी को अमरकंटक से यात्रा शुरू हुई थी। श्री गोविंदाचार्य जी नर्मदा जी के दक्षिणी तट की यात्रा सपन्न करके उत्तरी तट पर आगे बढ़ रहे हैं। 3 मार्च को भरुच से उत्तरी तट की यात्रा शुरू हुई थी जो 14 मार्च को अमरकंटक में संपन्न होगी।
जबलपुर के इंद्राणा गांव स्थित जीविका आश्रम में आज लोक संवाद के दौरान श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, यह केंद्र लोक संस्कृति और ग्रामीण व्यवस्था को संजोने का काम कर रहा है। आदरणीय रविंद्र शर्मा गुरूजी की विचारों को लेकर जो काम चल रहा है इसी को देखने मैं यहां आया। जिससे मुझे पाथेय मिल जाए।
जीविका आश्रम में संवाद के क्रम में श्री गोविंदाचार्य जी ने लोगों के सामने तीन सवाल रखें। उनका पहला सवाल था- सफलता के द्वीप बन रहे हैं सामान्य माहौल में यह परिवर्तनकारी कैसे बनेंगे इसका ग्रामर क्या होगा इस पर विचार करने की जरूरत है।
दूसरा सवाल- समाज सत्ता और राज्य सत्ता परस्पर सहयोगी हो, एक-दूसरे के विरोधी न बने यह सवाल मेरे मन में आता है। तीसरा सवाल तकनीक को लेकर किया कि टेक्नोलॉजी को नाथने का कोई तरीका ढूंढ निकालना होगा। जिससे इसके भयंकर दुष्परिणामों से बचा जा सके। इसके लिए लोकपाल सरीखा किसी संस्था की जरूरत है।
संवाद के दौरान गोविंद जी ने मां नर्मदा दर्शन यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि कि मैं धार्मिक-आध्यात्मिक यात्रा पर निकला हूं। पूरी यात्रा के दौरान नर्मदा परिक्रमावासियों को देखा और उनके लिए यहां के लोगों के मन में भाव देखकर लोक परंपराओं के प्रति अगाध भाव बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा में नव तीर्थ दर्शन और नव देव दर्शन भी करता जा रहा हूं। इसी के क्रम में जीविका आश्रम पहुंचा था। जहां पर नए काम हो रहे हैं वो नव तीर्थ हैं और जो लोग ऐसे काम कर रहे हैं वे नव देव हैं।
भारत की तासीर को समझकर काम करने के संबंध में चर्चा करते हुए श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा कि भारत में 127 जियो इकनोमिक केंद्र हैं। कहीं पर नारियल होता है तो कहीं पर सेव होता है। इन केंद्रों के यूएसपी के हिसाब से ऐसे प्रकल्प विकसित किए जाएं जो मॉडल बने। इसी प्रकार हर जिले में सफलतापूर्वक काम कर रहे दो केंद्रों को लेते हुए देशभर में 2000 केंद्रों की एक डायरेक्टरी बने। साथ में मेलिंग ऐड्रेस और संपर्क को इक्टठा किया जाए। फिर संवाद, सहमति और सहकार के आधार पर दो तरफा संवाद का मैकेनिज्म विकसित किया जाए। ऐसा होने पर नए काम करने वालों को काफी सहूलियत मिलेगी और अनुभव का लाभ मिलेगा।
आज दिन भर जबलपुर के विभिन्न स्थानों पर लोक संवाद और मंदिर दर्शन का कार्यक्रम हुआ। लोगों ने हर्षोल्लास से परिक्रमावासियों का स्वागत किया।