लोगों को बौद्धिक, आंदोलनात्मक और रचनात्मक काम करने की जरूरत है – के एन गोविंदाचार्य

जबलपुर। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक संयोजक और हरित भारत अभियान के संयोजक श्री के एन गोविंदाचार्य जी आज जबलपुर में हैं। श्री गोविंदाचार्य जी की ‘नर्मदा दर्शन और अध्ययन प्रवास’ 20 फरवरी को अमरकंटक से शुरू हुई। आज उनकी यात्रा का 21वां दिन है। यात्रा का समापन 14 मार्च को अमरकंटक में होगा।

जबलपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान श्री गोविंदाचार्य जी ने बताया, 20 साल पहले अध्ययन अवकाश के बाद क्या करूंगा, इसका भी खुलासा जबलपुर में किया था। इन 20 सालों में कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में क्रांतिकारी बदलाव आया है। उसने समाज, राजनीति, आर्थिक व्यवस्था को काफी कमजोर किया। कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के क्रॉस बार्डर प्रभाव हैं। टॉवर की जगह सेटेलाइट आने से उसका ग्लोबल इंपैक्ट कुछ और होगा। और, नेशनल सॉवरेनटी के कायदे-कानून में भारी बदलाव की जरूरत है। उसी प्रकार, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जेनेटिक्स इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी का जल-जीवन पर भारी असर है। जो उस समय सोचता था कि ग्रामीण गरीबी बाजारीकरण और वैश्वीकरण से नहीं हटेगी, शहरी गरीबी कुछ हटेगी, अपराध, अपसंस्कृति बढ़ेगी, कमजोर वर्ग और कमजोर होगा। 20 साल बाद वो सब प्रत्यक्ष दिख रहा है।
श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, आगे का रास्ता प्रकृति केंद्रित विकास और व्यवस्था परिवर्तन है।
पिछले दो दशक में अपने प्रयासों को लेकर उन्होंने बताया कि साइबर सेक्शन पर नियंत्रण स्थापित करने में कुछ सफलता मिली है। पंचायतों को बजट का 7 फीसद हिस्सा जाना चाहिए इसमें कमोबेश सरकार ने कदम उठाया। पत्रकारों से संवाद के क्रम में श्री गोविंदाचार्य जी ने बताया कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिहाज से खेती की 5% भूमि पर जलाशय, 5% भूमि पर चारा खेती और 20% भूमि पर पंचस्तरीय बागवानी होनी चाहिए।

श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, भारत में 127 इको-एग्रो क्लाइमेट जोन है। 2021 के अंत तक एक सेंटर बन जाए इसकी योजना है। ऐसे ही 2000 अच्छे काम करने वालों लोगों की डायरेक्टरी और 10,000 मेलिंग लिस्ट बन जाए इस टारगेट के लिए लगा हूं।

वहीं, मां नर्मदा दर्शन यात्रा और अध्ययन प्रवास को लेकर श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, मैं तो अभिभूत हूं। मेरे लिए यहां का अनुभव अनोखा है। देश ही नहीं दुनिया में नर्मदा किनारे का सत्कार और सद्भाव देखने को नहीं मिलेगा।

नर्मदा जी को लेकर उपजी समस्याओं के सवाल पर श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, चार-पांच बातें उभरी हैं। यात्रा के बाद उसका आकलन होगा। अभी उस पर टिप्पणी अधकचरी होगी।

नर्मदा से संबंधित समस्याओं के सवाल पर आगे उन्होंने कहा, लोगों को बौद्धिक, आंदोलनात्मक और रचनात्मक काम करने की जरूरत है। इसके साथ लीगल पोर्सन को भी ध्यान देना होगा और जन मानस के बीच माहौल तैयार करना होगा। इन सब पहलुओं पर काम करके किसी समस्या के समाधान की ओर बढ़ा जा सकता है।
मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, साल 2016 में सरकार को गो माता का 20 सूत्रीय निर्देश पत्र और संपूर्ण गो हत्या बंदी कानून बनाने की मांग सौंपी थी।
20 सूत्रीय निर्देश पत्र में कानून बनने से पहले की व्यवस्थाएं शामिल थी। इसको लेकर एक पहल केंद्र के ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री में दिखी थी। श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, मोटर व्हीकल एक्ट 2015 में एक धारा जोड़ी गई थी। इसमें पशुओं को ले जाने वाली वाहनों को एंबुलेंस जैसी विशेष वाहनों के लाइसेंस जारी करने की बात थी। कानून बनने के 6 महीने के भीतर ही उस धारा में संशोधन कर दिया गया
श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, जल जंगल जमीन की लड़ाई कितनी जटिल है इसे समझना होगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा, देश और दुनिया में प्रकृति केंद्रित विकास की जरूरत है अब मानव केंद्र विकास से काम नहीं चलेगा।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

22,046FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles