ज्ञानवापी मस्जिद पर क्या बोले स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती व भाग्योदय प्रमुख

वाराणसी। 1669 का वक्त था। बादशाह औरंगजेब  ने काशी में जबरदस्‍त विध्वंस मचाया था । उसने विश्‍वनाथ मंदिर को तोड़कर लिंग को मंदिर से हटाकर ज्ञानवापी कुएं में फिंकवा दिया।  मंदिर के एक हिस्से को नष्‍ट कर उस पर मस्जिद का निर्माण करा दिया। इसके बाद उसने गंगा नदी के पंचगंगा घाट पर स्थित बिंदुमाधव के बेहद भव्‍य मंदिर को भी नष्‍ट कर दिया और उस पर भी मस्जिद का निर्माण करा दिया। औरंगजेब के भय से बिंदुमाधव की मूर्ति को पहले ही पूजारियों ने हटा दिया था।

इस घटना से आहत स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी ने कहा कि न भूलेंगे न माफ करेंगे। जिसने हिंदुओं के स्वाभिमान अभिमान और गर्व को नष्ट करने का कदम उठाया था वक्त आने पर ज्ञानवापी यानी अविमुक्तेश्वर महादेव को पुनः लेकर रहेंगे।

वहीं भाग्योदय फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष राम महेश मिश्र ने महादेव की नगरी काशी में आक्रांता औरंगजेब की कारस्तानी के लिए सरकार और न्यायपालिका से अपील किया कि आदिकाल से काशी महादेव की नगरी रही है उसके साथ छेड़ छाड़ करने वाले आक्रांता की सोच को अब न बढ़ने दिया जाए।

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