आखिर क्या है कार्तिक मास की महिमा जानिए आचार्य पं0 धीरेन्द्र मनीषी से…

आखिर क्या है कार्तिक मास की महिमा जानिए आचार्य पं0 धीरेन्द्र मनीषी से…

वाराणसी। स्कंद पुराण में कार्तिक माह को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। कार्तिक मास विशेष रुप से भगवान श्रीहरि विष्णु और माता महालक्ष्मी जी को समर्पित होता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी के साथ-साथ यमदेवता, धनवंतरि, गोवर्धन, भगवान श्रीकृष्ण और चित्रगुप्त जी की पूजा की जाती है।

कार्तिक मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। इस महीने में दान, पूजा-पाठ तथा स्नान का बहुत महत्व होता है तथा इसे कार्तिक स्नान की संज्ञा भी दी जाती है। इस माह आने वाली देव उठनी या प्रबोधिनी एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के पश्चात उठते हैं। इस दिन के बाद से ही सारे मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं। हिंदू पंचांग के 12 मास में कार्तिक भगवान विष्णु का मास है। इसमें नक्षत्र ग्रह योग, तिथि पर्व का क्रम धन, यश ऐश्वर्य, लाभ, उत्तम स्वास्थ्य देता है। इसी मास में शिव पुत्र कार्तिकेयजी ने तारकासुर राक्षस का वध किया था, इसलिए इसका नाम कार्तिक पड़ा, जो विजय देने वाला है।कार्तिक मास में जो भी व्रत आदि रखता है उसे सदा एक पहर रात बचते ही उठ जाना चाहिए फिर स्तोत्र आदि के द्वारा अपने इष्ट देव की स्तुति करते हुए दिन के बाकी कामों को करना चाहिए। गाँव अथवा नगर के अनुसार दैनिक कर्म – मल-मूत्र त्याग आदि कर उत्तर की ओर मुँह करके बैठना चाहिए। इसके साथ ही दाँत व जिह्वा की शुद्धि के लिए वृक्ष के समीप जाकर निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:-

आयुर्बल यशो वर्च: प्रजा पशुवसूनि च ।

ब्रह्म प्रज्ञां च मेघां च त्वं नो देहि वनस्पते ।। तेल लगाना, दूसरे का दिया भोजन ग्रहण करना, तेल खाना, अधिक बीज वाले फलों का सेवन, चावल तथा दाल – ये खाद्य पदार्थ कार्तिक मास में नहीं खाने चाहिए। इसके अलावा गाजर, बैंगन, बासी खाना, मसूर, कांसे के बर्तन में भोजन, कांजी, दुर्गंधित पदार्थ, किसी भी समुदाय का अन्न अर्थात भण्डारा, शूद्र का अन्न, सूतक का अन्न, श्राद्ध का अन्न यह कार्तिक व्रत करने वाले को त्याग देने चाहिए।

कार्तिक में केले और आंवले के फल का दान करना चाहिए। शीत से कष्ट पाने वाले निर्धन और ब्राह्मण को वस्त्र दान देना चाहिए। जो व्यक्ति इस माह भगवान को तुलसीदल समर्पित करता है, उसे मुक्ति मिलती है। जो कार्तिक की एकादशी को निराहार रहकर व्रत करता है, वह पूर्व जन्मों के पापों से छुटकारा पा लेता है। जो राह चलकर आये हुए थके व्यक्ति को अन्न देता है, वह पुण्य का भागी बनता है। कार्तिक मास में अन्नदान करें, यह मेरा सुझाव है। भगवान विष्णु सबका पालन एवं कल्याण करें!

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