जबलपुर। जल, जंगल, जमीन और जानवर को उनके स्वभाव में वापस लाना और जन का उनके साथ सामंजस्य करना ही विकास की असल सोच में शामिल होना चाहिए। 20 फरवरी को अमरकंटक से नर्मदा दर्शन यात्रा पर निकले सामाजिक, राजनीति विचारक श्री के एन गोविंदाचार्य ने यह बात कही। श्री गोविंदाचार्य की यात्रा का आज चौथा दिन है। मंगलवार को जबलपुर से नरसिंहपुर के लिए यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर श्री गोविंदाचार्य ने लोक संवाद किया। लोगों ने चिंतक-विचारक गोविंद जी का भव्य स्वागत किया।
श्री गोविंदाचार्य ने नर्मदा दर्शन यात्रा के संबंध में दो बातों को अनुभव किया। उन्होंने कहा, सारे इलाके में निश्चिंत होकर लोग नर्मदा परिक्रमा कर रहे हैं। किसी प्रकार का डर-भय नहीं है। साथ ही यहां के लोगों में श्रद्धा भाव ज्यादा है। कोई भी श्रद्धालु रहने और खाने की कोई समस्या नहीं है। समाज के लोग बढ़-चढ़कर सेवा भाव करते हैं।
जबलपुर के ग्वारी घाट स्थित गुरुद्वारा में श्री गोविंदाचार्य का भ्रमण किया। गुरुद्वारा समिति के सदस्यों से संवाद के दौरान जानकारी मिली कि गुरुनानक साहब यहां आए थे। बाद में यहां गुरुद्वारा का निर्माण किया गया। इस गुरुद्वारे की खासियत है कि यहां विशेष तौर पर होली के आस-पास होला त्योहार मनाया जाता है।
आज की यात्रा का अगला पड़ाव नरसिंहपुर के गोटेगांव रहा। जहां ढोल- नगाड़ों के साथ लोगों ने श्री गोविंदाचार्य का स्वागत किया। यहां लोक संवाद के दौरान श्री गोविंदाचार्य ने कहा, समय विकास के तकाजा पर फिर से सोचने का है। उन्होंने कहा, जल, जंगल, जमीन के साथ जन का अनुकूल जीवन आवश्यक है। कई अध्ययनों में ये बात निकल कर आ रही है कि 2030 तक स्थितियां और बेकार होंगी। श्री गोविंदाचार्य ने कहा, उत्तराखंड के चमोली में जो ग्लेशियर फिसला ऐसे 127 ग्लेशियर और हैं। जो खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके हैं। उन्होंने बताया कि साइबेरिया से हिमालय क्षेत्र में आने वाली हवाओं के साथ कार्बन कण भी रहते हैं। जो ग्लेशियरों में भारी मात्रा में चिपक गये हैं। इस कारण से सूर्य किरणें परावर्तित नहीं हो पा रही और कार्बन कण गर्मी को बढ़ा देते हैं। इससे ग्लेशियर पिघल कर असंतुलित हो रहे जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण चमोली की घटना है।
श्री गोविंदाचार्य ने कहा, अब समय आ गया है कि विकास मानव केंद्रित न होकर प्रकृति केंद्रित विकास होना चाहिए। आज की यात्रा नरसिंहपुर के बरमान तक हुई। और कल होशंगाबाद जिले के विभिन्न स्थानों पर लोक संवाद और नर्मदा दर्शन का कार्यक्रम है।