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भौतिक विकास की अपेक्षा प्राकृतिक संसाधनों के द्वारा मानव विकास स्थाई होता है – के एन गोविंदाचार्य

बड़वानी। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक संयोजक और हरित भारत अभियान के संयोजक श्री के एन गोविंदाचार्य जी 28 फरवरी यानी रविवार को खरगोन से बड़वानी पहुंचे। श्री गोविंदाचार्य जी की ‘नर्मदा दर्शन और अध्ययन प्रवास’ 20 फरवरी को अमरकंटक से शुरू हुई। आज उनकी यात्रा का नौवां दिन है।

खरगोन के वाग्देवी विद्यापीठ इंटरनेशनल स्कूल में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, साल 2019 में खरगोन सबसे गर्म क्षेत्र दर्ज किया। जो 47.5 डिग्री सेल्सियस रहा। दुनिया के 9 गर्म स्थानों में भारत के 4 स्थान शामिल है।
कोरोना और चमोली में ग्लेशियर का पिघलना पर्यावरण का देश और दुनिया को संकेत है। हमें युद्ध स्तर पर वनाच्छादन करना होगा।‘हरित भारत अभियान’ के संयोजक श्री गोविंदाचार्य जी ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने और गांवों को पुनः समृद्धशाली बनाने के लिए खरगोन वासियों को तीन सूत्री महामंत्र प्रदान किया। उन्होंने कहा, प्रत्येक गांव की 5% भूमि पर जलाशय बनें, 5% भूमि पर चारा खेती हो और 20% भूमि पर पंचस्तरीय बागवानी हो।
इन तीन कार्यों के लिए सिचाई सुविधा उपलब्ध हो जाने से किसानों की उपज बढ़ेगी, गायों की दशा सुधरेगी। श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, फलदार पेड़ लगाने से देश की 33% भूमि पर वनाच्छादन हो जाएगा और बागवानी से किसानों की अनेक गुना आय भी बढ़ेगी।
श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, साल 2020-21 में ‘हरित भारत अभियान’ शुरू हुई है। इसमें मेरे दो सहयोगी श्री सुरेंद्र सिंह बिष्ट और मयंक गांधी लगे हुए हैं।

वार्ता के क्रम में नर्मदा परिक्रमा मार्ग की योजना के सवाल पर श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, यात्रा के बाद समाज और सरकार के स्तर पर मुख्य बातों को ले जाएंगे और समाधान का प्रयास किया जाएगा।
नर्मदा से संबंधित समस्याओं के सवाल पर उन्होंने कहा, लोगों को बौद्धिक, आंदोलनात्मक और रचनात्मक काम करने की जरूरत है। इसके साथ लीगल पोर्सन को भी ध्यान देना होगा और जन मानस के बीच माहौल तैयार करना होगा। इन सब पहलुओं पर काम करके किसी समस्या के समाधान की ओर बढ़ा जा सकता है। मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, साल 2016 में सरकार को गो माता का 20 सूत्रीय निर्देश पत्र और संपूर्ण गो हत्या बंदी कानून बनाने की मांग सौंपी थी।
20 सूत्रीय निर्देश पत्र में कानून बनने से पहले की व्यवस्थाएं शामिल थी। इसको लेकर एक पहल केंद्र के ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री में दिखी थी। श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, मोटर व्हीकल एक्ट 2015 में एक धारा जोड़ी गई थी। इसमें पशुओं को ले जाने वाली वाहनों को एंबुलेंस जैसी विशेष वाहनों के लाइसेंस जारी करने की बात थी। कानून बनने के 6 महीने के भीतर ही उस धारा में संशोधन कर दिया गया
श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, जल जंगल जमीन की लड़ाई कितनी जटिल है इसे समझना होगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा, देश और दुनिया में प्रकृति केंद्रित विकास की जरूरत है अब मानव केंद्र विकास से काम नहीं चलेगा।
श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, साल 2000 में अध्ययन अवकाश के बाद एक बार फिर अपने को अपडेट करने निकला हूं। नर्मदा क्षेत्र में लोक संवाद और लोगों से मिलना-जुलना हो रहा है। मेरी नजर में जो लोग नए काम कर रहे नव देव हैं और जहां नया काम हो रहा वह नव तीर्थ हैं।एक सवाल में पूछा गया कि अच्छे लोग राजनीति से बाहर आते हैं तो वहां बुरे लोगों का कब्जा हो जाता है। इस पर श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, सत्ता क्षेत्र के बारे में मेरा आकलन है कि वादे और दावे आसान होते हैं वनस्पति प्रतिफल के।
देश भर में एक समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के सवाल पर श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं। इस कानून को बहुत पहले ही लागू कर देना चाहिए था। एक समान नागरिक संहिता के बारे में सबकी एक समान सहमति है।
आज यात्रा, नर्मदा दर्शन और लोक संवाद के क्रम में श्री गोविंदाचार्य को खरगोन में कई स्थानों पर भावभीनी स्वागत हुआ। इसी क्रम में रविवार दोपहर के बाद बाड़वानी में मोहिपुरा स्थित स्वामी अमूर्तानंदपुरी आश्रम में लोक संवाद किया और इसके बाद अगला कार्यक्रम साखी रिसार्ट में हुआ।

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