देवास। राष्ट्रीय स्वभिमान आंदोलन के संस्थापक संरक्षक श्री के एन गोविंदाचार्य जी की नर्मदा दर्शन यात्रा और अध्ययन प्रवास का आज 16 वां दिन है। 20 फरवरी को अमरकंटक से यात्रा शुरू हुई थी। श्री गोविंदाचार्य जी नर्मदा जी के दक्षिणी तट की यात्रा सपन्न करके उत्तरी तट पर आगे बढ़ रहे हैं। 3 मार्च को भरुच से उत्तरी तट की यात्रा शुरू हुई थी जो 14 मार्च को अमरकंटक में संपन्न होगी।
रविवार की सुबह महेश्वर से यात्रा की शुरुआत हुई और शाम को देवास जिले का नेमावर यात्रा का पड़ाव रहा। वहीं यात्रा दल जब इंदौर पहुंची तो वहां के मेड़, गवली पलासिया और महु में हर्षोल्लास से स्वागत किया गया। आज के विशेष कार्यक्रमों में श्री गोविंदाचार्य जी ने लोक संवाद, मंदिर दर्शन, शहीदों को माल्यार्पण और अंबेडकर जन्मस्थली पर उद्बोधन दिया।
महु में श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, अंबेडकर जी के जीवन को समझना बहुत कठिन है। अंबेडकर जी को संविधान निर्माता के तौर पर पहचान मिली है लेकिन वह प्लानर और इकोनॉमिक्स भी थे। बहुमुखी प्रतिभा वाले के साथ अन्याय होता है। उन्होंने अहा, जिन परिस्थितियों मेंअंबेडकर जी ने काम किया और अपने अनुयायियों को पथ प्रदर्शन दिया उस दिशा में उनका राष्ट्रवादी अभिमत अभिव्यक्त होता रहा। और, मत-परिवर्तन किया तो भारतीय जड़ों से जुड़े संप्रदाय में किया, बाहर नहीं किया। सामर्थयपूर्ण पद्धति से चलने वाले संप्रदाय में किया। ये उनकी मूल चरित्र को अभिव्यक्त करता है। ये उनकी एक और विशेषता समझ में आती है।
श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, मैं जिस राम राज्य की बात करता हूं वह तभी पूरी होगी जिसमें ‘सब नर करहूं परस्पर प्रीति’ होने के साथ सत्ता, संपत्ति और सम्मान में सबकी समुचित भागीदारी हो।
श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, नारों से, प्रदर्शनों से बदलाव नहीं आता। अपने जीवन में बदलाव लाने से आता है। उन्होंने कहा, जब राष्ट्रीय चेतना मजबूत होती है तो जाति, क्षेत्र, भाषा, संप्रदाय मजबूत होते हैं। और जब ये कमजोर होते हैं तो विभाजन कारक रखते हैं। हम सभी को साइकोलॉजिकली ऊपर उठने की आवश्यकता है। 70 साल पहले ये बहुत रही होगी और आज भी जरूर है।
शनिवार शाम को खरगोन जिले के महेश्वर में श्री गोविंदाचार्य जी का भव्य स्वागत कर शोभायात्रा निकाला गया। इसके बाद वह मंदिर दर्शन, नर्मदा आरती और महेश्वर स्थित होल्कर राज भवन भ्रमण में शामिल हुए। अहिल्याबाई घाट पर नर्मदा आरती के बाद आयोजित लोक संवाद में श्री गोविंदाचार्य ने कहा, बाजारवाद के दौर में तीर्थाटन पर्यटन में बदल गये। लेकिन नर्मदा किनारे के लोगों का अधिष्ठान हिला नहीं। यहां के लोगों में नर्मदा परिक्रमवासियों को लेकर बेहद सत्कार का भाव है। यहां के गृहस्थ गरीब-अमीर सभी के लिए समान भाव रखते हैं। श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, धर्म और आध्यात्म के भाव से ही देश का बचाव होगा। मध्य प्रदेश भारत को यह संदेश दे रहा है।
रविवार को बालाजी मंदिर में लोक संवाद के दौरान श्री गोविंदाचार्य जी ने भारत की राजनीति, अर्थनीति को ध्यान में रखकर पांच सूत्र दिये। पहला, किसी विधि से किसी देवी-देवता की पूजा की जाए वह एक ईश्वर को प्राप्त होती है। दूसरा, सभी में भगवान का अंश है। तीसरा, पशु, पक्षी, कीट-पतंग सभी के लिए मन में सद्भाव हो। चौथा, महिलाओं का मातृत्व के गुण के कारण सम्मान है। पांचवा, खाओ-पियो मौज करो इसके परे भी जिंदगी का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा, भौतिक विकास से भारत में पिछले 60 सालों में 50 फीसद जैव विविधता नष्ट हुआ है। 2030 तक कोई उपाय नहीं किया गया तो भयानक स्थिति पैदा हो जाएगी।
उन्होंने कहा, बाजारवाद के दौर में लोगों ने आवश्यक क्या है, क्या नष्ट हो रहा क्या बन रहा इसका विवेक खो दिया है।
श्री गोविंदाचार्य जी ने अपनी यात्रा के संबंध में बताया कि कि मैं तो दर्शनार्थ मुक्ति के आस्था से निकला हूं। मेरे साथी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक पहलूओं के बारे में लोगों से बातचीत करके जानकारियां इकट्ठा कर रहे हैं। जिसको समाज और सरकार के स्तर पर पहुंचाकर समाधान का प्रयास होगा।