सिमरी। प्रख्यात चिंतक-विचारक श्री के एन गोविंदाचार्य के नर्मदा दर्शन यात्रा का आज तीसरा दिन है। श्री गोविंदाचार्य की धार्मिक-आध्यात्मिक और अध्ययन को लेकर यह यात्रा 20 फरवरी को अमरकंटक से शुरू हुई। आज उन्होंने सिवनी और जबलपुर जिले के विभिन्न स्थानों पर लोक संवाद किया। यहां के लोगों ने बहुत जोर-शोर से श्री गोविंदाचार्य का स्वागत किया। श्री गोविंदाचार्य का कहना है कि नर्मदा जी के किनारे यात्रा करने का उद्देश्य नव तीर्थ और नव देह दर्शन करना है। उन्होंने कहा, जो लोग नया काम करने वाले हैं वह नव तीर्थ हैं उनको देखना ही नव दर्शन है। श्री गोविंदाचार्य ने कहा, मैं अधिक से अधिक देवताओं से मिलने निकला हूं। हमारे देश में सभी में भगवान देखा जाता है। ये ऋषि और कृषि की जमीन है। हमारा देश राम और कृष्ण के साथ कृष्ण और बलराम का है।
विकास के बारे में चर्चा करते हुए श्री गोविंदाचार्य ने कहा, 25 साल पहले 600 करोड़ जनसंख्या में 65 करोड़ 1 डॉलर से कम पर रोजाना जीवन जीने को मजबूर थे। अभी 700 करोड़ जनसंख्या में 125 करोड़ लोग 1 डालर से कम पर रोजाना जीवन जीने को मजबूर है। यानी मानव केंद्रित विकास फेल साबित हुआ।
उनका कहना है कि आज जो जल, जंगल, जमीन की हालत बिगड़ी है उसके पीछे मानव केंद्रित विकास ही नतीजा है। विकास की अवधारणा को प्रकृति में केंद्र रखकर करने की आवश्यकता है। जन के साथ जल, जंगल, जमीन का ताल-मेल करने के साथ संरक्षण और संवर्धन की जरूरत है।
श्री गोविंदाचार्य ने आज की यात्रा में सिमरी जिला के निचली बुधेरा, घनसौर और जबलपुर के बरगी स्थित नंद केश्वर मंदिर और मां नर्मदा गोशाला में लोक संवाद किया।