हमें अपने सभी प्राचीन स्मृतियों को सहेजने की जरूरत है – के एन गोविंदाचार्य

खरगोन। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संयोजक और सामाजिक चिंतक श्री के एन गोविंदाचार्य जी 27 फरवरी यानी शनिवार को ‘नर्मदा दर्शन यात्रा और अध्ययन प्रवास’ के दौरान खंडवा से खरगोन पहुंचे। 20 फरवरी को अमरकंटक से नर्मदा यात्रा और अध्ययन प्रवास की शुरुआत हुई थी। आज यात्रा का आठवां दिन है। शनिवार को श्री गोविंदाचार्य जी ने खंडवा के मोरटक्का के राजराजेश्वरी मंदिर में दर्शन के बाद यात्रा को आगे बढ़ाया। इसके बाद डुडगांव, रावेर खेड़ी स्थित बाजीराव समाधी स्थल, बकावा गांव, भटयाणा गांव के सियाराम बाबा के दर्शन सहित कई स्थानों पर भ्रमण किया।
आज खरगौन के बाजीराव समाधी स्थल पर लोक संवाद के दौरान श्री गोविंदाचार्य ने कहा, हैरिटेज साइट में इस स्थल का नाम नहीं होना वीर पुरुष की उपेक्षा है। अमेरिका 300 साल पुराना देश है और इंग्लैंड समाज बनने की दिशा में है। आपको बताऊं अमेरिका में 10 लाख से ज्यादा हेरिटेज साइट और इंग्लैंड में 6 लाख के करीब हेरिटेज साइट है। भारत में कुल हेरिटेज साइट 4 हजार से कम है। आप कल्पना करिए हजारों साल का समाज और इतने कम हेरिटेज साइट। हेरिटेज साइट का विशेष महत्व होता है। जैसे-काशी में विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा, संकटमोचन, चेतसिंह का किला हेरिटेज साइट नहीं है। चेतसिंह ने जिन दो सिपाहियों को मारा था उनके कब्र हेरिटेज साइट हैं। इस स्थिति के पीछे आर्किलाजिकल सर्वे के आकलन के नियम हैं। वही गलत है।
श्री गोविंदाचार्य ने कहा, हम लोग स्मृति जागरण का काम कर रहे हैं। हम जो हैं वो सबके सामने आ जानी चाहिए।
इसी क्रम में खरगोन के लेपा पुनर्वास गांव में चल रहे आवासीय विद्यालय में संवाद करते हुए श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, जो समाज के लिए अच्छा कर रहे नव देव हैं और जिस स्थान पर ऐसा काम हो रहा नव तीर्थ हैं। उन्होंने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के तरीके से शिक्षा व्यवस्था की सराहना की।वहीं, आज लोक संवाद के दौरान उन्होंने कहा, पिछले 25 सालों में संचार के क्षेत्र में क्रांति आई। 1995 में WTO और इंटरनेट साथ-साथ आया। इसी दौर में आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस (AI), जेनेटिक इंजीनियरिंग, बॉयोटेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स जैसी तकनीक आए। इसका समाज पर क्या असर हुआ है इससे अपडेट होने निकला हूं। श्री गोविंदाचार्य ने होपोसेपियंस किताब का जिक्र करते हुए बताया, पुस्तक के लेखक हरारे लिखते हैं कि दुनिया चलाने के लिए सिर्फ 55 करोड़ लोगों की जरूरत है।बाकी 650 करोड़ लोगों को खारिज करता है। क्योंकि मार्केटिंग के जमाने में जो प्रदर्शन नहीं करता उसे खारिज करने की प्रवृत्ति होती है।

श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, परमात्मा का साक्षात्कार करने वाली मानव योनी को फालतू समझने वाला यह विचार कितना विकृत है। यहां श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, भारत को कुछ साल रूस बनाने की कोशिश हुई फिर अमेरिका बनाने की। लेकिन भारत ब्राजील बनकर रह गया। भारत बेसिक तौर पर उनसे अलग है। यहां 1.8 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति जमीन का अनुपात है। यहां की तकनीक को लेकर इकोनॉमिक्स, इकोलॉजी और इथिक्स का ध्यान रखने की जरूरत है। उनका कहना है कि भारत में गर्मियों की छुट्टी की जगह बरसात की छुट्टी होनी चाहिए ताकि उस वक्त यहां के बच्चे खेतों में भी योगदान दे सकें।

श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, अधिष्ठान परिवर्तन की जरूरत है। आप देखें तो मानव केंद्रित विचार के चलते पिछले 500 सालों में जल, जंगल, जमीन और जानवर के साथ जन का सामंजस्य बिगड़ा है। इस दौर में विकास को GDP, ग्रोथ रेट, ट्रिकल डाउन थ्योरी से देखा गया। भारत की तासीर वनाच्छादन और गोमता से जुड़ी है। जबकि इनकी बहुत बुरी स्थिति है। जहां देश में 33 फीसद वनाच्छादन होना चाहिए वहां 23 फीसद ही है। दूसरी ओर, अंगरेज जब भारत आए थे तब एक व्यक्ति पर आठ गोवंश थे जब देश आजाद हुआ यानी 1947 में एक मानव पर एक गोवंश बचे। आज की स्थिति है कि सात लोगों पर एक गोवंश हैं। ये विकार है या विकास। श्री गोविंदाचार्य जी ने कहा, विकास तब माना जाएगा जब खेत विष मुक्त हो, जलस्तर बढ़े, वनाच्छादन बढ़े, नदियां सदा नीरा हों। ऐसे ही हरेक को रोज आधा किलो फल, आधा किलो दूध, आधा किलो हरी सब्जी मिले, तब विकास होगा। यही रामराज्य की संकल्पना भी है। इसके लिए प्रकृति केंद्रित विकास की जरूरत है।

गोविंद जी के साथ यात्रा में बनारस से सेवानिवृत्त शिक्षक और सामाजिक आध्यात्मिक चिंतक श्री वासुदेवाचार्य जी, हरित भारत अभियान के महासचिव श्री सुरेंद्र सिंह बिष्ट जी, वृदांवन से सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी देवस्वरूपानंद जी, दिल्ली से पत्रकार श्री नीतीश सिंह जी, राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के दिल्ली प्रदेश संयोजक श्री जीवकांत झा जी, मुंबई से शाश्वत हिंदू प्रतिष्ठान के संयोजक श्री संजय शर्मा जी और वहां सोशल मीडिया देख रहे मुंबई से श्री अजय सिंह जी व दिल्ली से भारत विकास संगम के दिल्ली प्रदेश संयोजक श्री विवेक त्यागी जी नर्मदा यात्रा और अध्ययन प्रवास में शामिल हैं।

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