नई दिल्ली। भारत में हर 30 मिनट में एक रेप होता है। माफ़ कीजिये, होता था 2014 तक । अब तो भारत तरक्की कर चुका है अतः अब भारत में हर 16 मिनट पर एक रेप रिपोर्ट होता है। ध्यान दीजिये, रिपोर्ट होता है। असल में कितने होते हैं, इसका आंकड़ा नहीं है। आप असल आंकड़ों के लिए इसको दुगुना या तिगुना कर सकते हैं। आपके पास किसी रेप को बड़ा चढ़ा कर, जो खबर आती है, वो कब आती है? कभी गौर किया है, जब उसमें कोई मुस्लिम अपराधी हो अमूमन तभी। बाकी जो रोज 75 रेप होते हैं, उसके बारे में आपको हवा भी नहीं लगती। ऐसा तो नहीं है कि रोज जो रेप होते हैं, वो सारे मुस्लिम ही करते होंगे? बहुत से केस में हिन्दू ही हिन्दू का करता होगा, मुस्लिम हिन्दू का करता होगा, हिन्दू मुस्लिम का करता होगा, अन्य धर्म वाले किसी और धर्म वालों का करते होंगे। पर हम इतना नहीं सोचते, हम ये भी नहीं सोचते कि रेप जैसे अपराध और घृणित कार्य का किसी भी धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं हो सकता है क्योंकि कोई भी धर्म, रेप करना नहीं सिखाता है। एक भी रेप होता है तो वो प्रशासन की खिल्ली उड़ाता है, देखो और बताओ तुम क्या कर लोगे? फिर यहाँ तो 75 रेप रोज होते हैं। पर आपके whatsapp पर बस उन्ही रेप पर बात होती हैं, जहाँ अपराधी मुस्लिम होता है क्योंकि उससे एक दल विशेष को फायदा होता है। असल में वहां रेप पर बात नहीं हो रही होती है। वहां बात हो रही होती, हिन्दू-मुस्लिम की, रेप तो बस उस बहस को करने का आधार मात्र होता है लेकिन बाकी 74 केस आपको पता भी नहीं चलते और इसीलिए कभी बढ़ते रेप केस मुद्दा नहीं बन पाते, मुद्दा बनता है, हिन्दू और मुस्लिम।
ऐसा तो है नहीं कि रेप केवल उन्ही परिवारों में हो रहे होंगे, जिन्होंने आप पार्टी, कांग्रेस पार्टी या किसी और पार्टी को वोट दिया होगा ? 1 दिन में 74 रेप में वो परिवार भी होते होंगे, जिन्होंने वर्तमान सत्ताधारी दल को वोट दिया होगा फिर आपको ऐसा क्यों लगता है कि ये आग आपके घर नहीं पहुंचेगी ? जब हाथरस में रेप हुआ और उस पर लीपा पोती हुई, रात में ही शव जला दिया गया और सरकारी अधिकारियों ने ये तक कह दिया कि रेप हुआ ही नहीं था तो आपने कुछ नहीं कहा, क्यों ? क्योंकि वो आपके घर की बात थोड़े ही थी ? वो तो दुसरे का घर जल रहा था सो आप हाथ सेंक रहे थे या रजाई डाल कर सो रहे थे पर इससे ये सुनिश्चित हुआ कि जब आपका घर जलेगा, तो बाकी लोग भी हाथ ही सेंक रहे होंगे या रजाई डाल कर सो रहे होंगे। जब आप जिस समाज में रह रहे हैं, उसमें होने वाले अत्याचारों के खिलाफ ही आवाज नहीं उठाएंगे तो जब आपके घर में, कभी ऐसा होगा तो कोई और क्यों आवाज उठाएगा ? क्या आपको तब भी यही लगेगा कि इसमें सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है, प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं है, मेरी ही लड़की में कोई खोट रहा होगा, जो उसके साथ ऐसा दुष्कर्म हुआ ? यदि आप उसके बाद भी ऐसा ही सोचेंगे तो सलाम है, आपकी ऐसी स्वामिभक्त सोच को। प्राण जाए, घर की आबरू जाए पर मजाल है जो सत्ताधारी दल से कोई सवाल पूछ लिया जाए ? सवाल पूछना तो वैसे भी कानूनन अपराध हुआ जा रहा है ! क्या कहा, अभी कानूनन अपराध नहीं है ? ओह, कोई नहीं जल्दी हो जाएगा, सवाल पूछने पर जेल तो होने ही लगी है, अपराध भी हो जाए तो क्या फर्क पड़ता है, क्योंकि सवाल तो लोग अब पूछते ही नहीं !
पूछते ही नहीं कि जब आपके राज में, रेप केस आपसे पहले की सरकार से दुगुने हो गए तो फिर आप को दुबारा वोट क्यों दिया जाए ? पर ऐसे मुद्दों पर हम बात नहीं करते, सवाल तो कदापि नहीं पूछते ! पूछते हैं तो विपक्ष से, गोया कि अपराध को कम करने की जिम्मेदारी विपक्ष की है | पर ये तो हमारे लिए मुद्दा ही नहीं है, हर 15 मिनट तो क्या, हर 1 मिनट पर भी हो तो भी नहीं होगा | हम किसी सत्ताधारी दल को दूसरी बार वोट देते हैं तो उससे ये पूछते नहीं न कि भाईसाहब आपके राज में, रेप इतने क्यों बढ़ गए ? आप तो वोट बहुत से अन्य जरूरी मुद्दों पर देते हैं, है न ? तो ठीक है, प्रतीक्षा कीजिये, ये आग, ये लपटें, आपके घर भी आएँगी। आखिरी बार मैंने, कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए और लोगों को सड़कों पर आते हुए, 2014 में देखा था, जब दिल्ली में एक लड़की के रेप पर पूरे देश में लोग सड़कों पर आ गए थे, पर 2014 के बाद तो शायद जैसे रेप भारत से गायब ही हो गए हैं या बस मुस्लिम ही हिन्दू बच्चियों का करते हैं और इसलिए अगर कोई दोषी है तो वो मुस्लिम ही हैं.. न कि कानून व्यवस्था और सरकार!
पर याद रखिये, किसी समझदार व्यक्ति ने कहा था कि अगर पडोसी के घर में आग लगती है और आपको नींद आ जाती है तो इसका मतलब है कि अगला नंबर आपका है |
वैसे आखिरी बार ब्लड प्रेशर कब चेक करवाया था ? दुबारा चेक कराईये कि वो ब्लड के प्रेशर की ही रिपोर्ट थी। कहीं पानी के प्रेशर की रिपोर्ट तो डॉक्टर ने नहीं दे दी थी ? खून अगर पानी हो जाए तो उसमें उबाल नहीं आया करता, बल्कि वो भाप बन कर उड़ जाता है, सूख जाता है। चेक कीजिये, क्या आपके खून में उबाल आता है?
डॉ ए के पांडेय, संरक्षक, आल इंडिया जर्नलिस्ट यूनियन