ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इंटरनेशलन चाइल्डहुड कैंसर डे के अवसर पर कैंसर से पीड़ित बच्चों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुये विदेश से भेजे अपने संदेश में कहा कि स्वस्थ जीवन के लिये सभी को योग व आयुर्वेद से युक्त बेहतर जीवन पद्धति अपनानी होगी। वैश्विक स्तर पर बढ़ते कैंसर को रोकने के लिये जागरूकता बढ़ाने के साथ कैंसर पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिये एक वैश्विक सहयोगात्मक अभियान चलाने की आवश्यकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कैंसर जैसे असाध्य कहे जाने वाले रोगों से बचने के लिये प्राकृतिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति बेहतर समाधान है। आयुर्वेद प्राचीन भारतीय, प्राकृतिक और समग्र चिकित्सा पद्धति में से एक है, जिसे ‘जीवन का विज्ञान’ भी कहा गया है। आयुर्वेद रोगों की रोकथाम के साथ रोगों को उत्पन्न करने वाले मूल कारण को निष्काषित करने का बेहतर माध्यम भी है। आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर स्वास्थ्य में सुधार करता है।
स्वामी जी ने कहा कि आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन स्वस्थ, लंबा और खुशहाल जिया जा सकता है। आयुर्वेद में उल्लेख मिलता है कि वात, पित्त और कफ आदि मूल तत्त्वों के संतुलन से बीमारियां शरीर पर हावी नहीं होती इसलिये आयुर्वेद में इन्हीं तीनों तत्त्वों के मध्य संतुलन स्थापित किया जाता है। साथ ही आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकते।
कैंसर दुनिया भर में बच्चों और किशोरों के लिए मौत का एक प्रमुख कारण है। दुनिया भर में हर साल 400,000 से अधिक बच्चों में कैंसर का पता चलता है, इसलिये सभी की सुरक्षा हेतु एक वैश्विक सहयोगी पहल की अत्यंत आवश्यकता है। बच्चों में बचपन से ही अपने स्वास्थ्य, भोजन और बेहतर जीवन पद्धति को लेकर समझ विकसित करने की जरूरत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बचपन में होने वाले कैंसर से होने वाली मौतों को तीन बुनियादी चीजों त्वरित और सटीक निदान, उच्च गुणवत्ता वाली आवश्यक दवाओं तक पहुंच और प्रभावी उपचार से बचाया जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि हर बच्चे का जीवन महत्वपूर्ण है इसलिये संकल्प करें कि ऐसी वस्तुयें जो मानव और प्रकृति दोनों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है जैसे प्लास्टिक व सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल नहीं करेंगे और एक स्वस्थ जीवन शैली को अपनायेंगे।