गाजीपुर। भांवरकोल क्षेत्र अंतर्गत पलियां गांव में गंगा तट हनुमान मंदिर पर यज्ञ का आयोजन हो रहा है। इस महा यज्ञ में अयोध्या से महामंडलेश्वर शिवराम दास उर्फ फलाहारी बाबा ने शिरकत की।
अपने उद्बोधन में फलहारी बाबा ने कहा कि संस्कारिक पुत्र जन्म देने में मां की अहम भूमिका होती है। प्रथम संस्कार मां के गर्भ में ही बच्चों के अंदर पड़ जाता है जो अमिट होता है। महाभारत का जिक्र करते हुए फलहारी बाबा ने कहा कि चक्रव्यूह तोड़ने की कला अभिमन्यु अपनी मां सुभाद्रा के गर्भ में ही सीख गया था। सातवां दरवाजा तोड़ने की कथा जब अर्जुन सुना रहा था अभिमन्यु की मां सुभद्रा को आलस के चलते नींद आ गई जिससे गर्भस्थ बच्चा भी सो गया मां की थोड़ी सी लापरवाही के कारण महाभारत के रंणागंण में वीर अभिमन्यु मारा गया। मां दिति की थोड़ी सी गलती और समय का ज्ञान ना होने के कारण हिरण्याक्ष और हिरण्य कश्यप जैसे राक्षस को जन्म देना पड़ा। गर्भावस्था में माताओं को महापुरुषों की गाथा एवं भगवान की कथा का श्रवण करना चाहिए। माता के आचार, विचार और व्यवहार का पूरा प्रभाव गर्भस्थ बच्चे पर पड़ता है। दीवाल खंड के दीवाल चित्र का भी प्रभाव गर्भस्थ बच्चे पर पड़ता है। मां के ऊपर निर्भर करता है कि वह राम को जन्म देना चाहती है कि रावण को जन्म देना चाहती है। सीता को जन्म देना चाहती है कि सुर्पखां को जन्म देना चाहती है।जीवन में संयम, नियम और मर्यादा का पालन होगा तो राम कृष्ण सीता राधा सुभाष चंद्र बोस चंद्रशेखर आजाद मीरा तुलसी कबीर जैसे पुत्र जन्म लेंगे। छत्रपति शिवाजी को पालने में ही जीजाबाई ने हिंदुत्व का संस्कार डाला था यदि छत्रपति शिवाजी नहीं होते तो आज हिंदुओं के माथे पर तिलक और कांधे पर जनेऊ नहीं होता। बचपन कोरा कागज होता है बाल्यावस्था में ही भविष्य का निर्माण होता है। इस मौके पर, ब़म्हानंन्द पांडेय, जयशंकर राय, बरमेश्वर राय, शिकंजा यादव, विनोद राम, कन्हैया यादव, सुरेंद्र नाथ राय, अखिलेश उपाध्याय, रामदुलार यादव, आनंद कुमार, कमलेश उपाध्याय आदि श्रद्धालु मौजूद थे।