लखनऊ, बुशरा असलम। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को 11 जिलों के 1001 गांवों के 1,57,244 लोगों को ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) वितरण की शुरुआत की। स्वामित्व योजना को ग्राम्य सशक्तीकरण की दिशा में बड़ी क्रांति बताते हुए उन्होंने कहा, घरौनी सिर्फ भूमि का मालिकाना हक दिलाने वाला सरकारी कागज नहीं, बल्कि यह गांव के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने, आत्मसम्मान का बोध कराने और आत्मनिर्भरता की राह दिखाने का माध्यम है।
अपने सरकारी आवास पर स्वामित्व योजनांतर्गत प्रदेश के 11 जिलों जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, वाराणसी व आजमगढ़ के 1001 ग्रामों में घरौनी के डिजिटल वितरण कार्यक्रम में योगी ने लाभार्थियों से वर्चुअल संवाद भी किया। उन्होंने कहा कि इस योजना से ग्रामीणों को आबादी क्षेत्र में स्थित अपनी संपत्ति (भवन, प्लॉट आदि) के प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त हो रहे हैं।
यह विवाद और भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे ही, जरूरत पर इन दस्तावेजों के आधार पर बैंक से ऋण भी लिया जा सकेगा। कार्यक्रम में विभिन्न जिलों के सात लाभार्थियों को सीएम ने घरौनी दी। जिलों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने लाभार्थियों को घरौनी का वितरण किया। कार्यक्रम को राज्यमंत्री राजस्व एवं बाढ़ सहायता विजय कुमार कश्यप ने भी संबोधित किया।
2.09 लाख लोगों को मिली घरौनी
प्रदेश में अब तक 37 जिलों के 1,578 गांवों के 2,09,016 भूखंड स्वामियों को आवासीय घरौनी मिल चुकी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि घरौनी से आबादी क्षेत्र का प्रारंभिक डाटा तैयार होने से विकास व सरकारी योजनाएं संचालित करने में सुगमता होगी। ड्रोन से सर्वेक्षण कर सही जानकारी आधारित अभिलेख तैयार हो रहे हैं। इससे दैवी आपदाओं के दौरान तेजी से सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी।
अब मिलेगा ऑनलाइन डिजिटल खसरा
कार्यक्रम में सीएम ने डिजिटल खसरा का भी शुभारंभ किया। योगी ने बताया कि पूर्व के 21 लाइन वाले ऑफ लाइन खसरे के स्थान पर अब 46 लाइन वाला ऑनलाइन डिजिटल खसरा बनेगा। इसमें गाटा के ब्योरे के साथ फसल व सिंचाई के साधन, दैवी आपदा व कृषि अपशिष्ट का निस्तारण, वृक्ष, गैर कृषि भूमि, लीज, दो फ सली क्षेत्रफ ल व गैर कृषि भूमि तथा विशेष विवरण दर्ज किया जाएगा। लेखपालों को लैपटॉप व मोबाइल फोन पूर्व में ही उपलब्ध कराया जा चुका है। ऑनलाइन खसरे को फिल्ड में ही भरा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि 1,08,846 राजस्व ग्रामों के 7.65 करोड़ गाटा खसरों का कंप्यूटरीकरण किया जाना है। ऑनलाइन खसरा होने से हर स्तर से इसका पर्यवेक्षण किया जा सकेगा। इससे अभिलेखों में पारदर्शिता आएगी।