- डॉ भूदेव सिंह समेत कई सरकारी चिकित्सक असली योद्धा बनकर उभरे
- सरकारी चिकित्सा सेवाएं आज भी जनता के लिए वरदान साबित
मथुरा/ मदन सारस्वत। पिछले एक वर्ष से कोरोना से लड़ रहे सरकारी चिकित्सक असली कोरोना योद्धा बनकर उभरे हैं।
मार्च 2020 में कोरोना ने दस्तक दी थी तभी से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जनता का सकारात्मक नजरिया बना है। ये सरकारी चिकित्सक ही भगवान का रूप बनकर सामने आए। प्राइवेट चिकित्सालय जब बंद हो चुके थे तब
ऐसे योद्धा सरकारी डॉक्टरों ने लोगों को बचाया था। उनका यह सेवा कार्य कोरोना की दूसरी लहर में भी जारी है।
जिला चिकित्सालय के कई चिकित्सकों के अलावा सीएमओ ऑफिस में कार्यरत कंट्रोल रूम प्रभारी डॉ भूदेव सिंह का नाम सबसे ऊपर आता है। स्वयं डा भूदेव सिंह ने एक साल से एकाध ही अवकाश लिया है। एसीएमओ डॉ राजीव गुप्ता भी दिन-रात कोरोना से लड़ाई लड़ रहे हैं। डा हेमेंद्र सिकरवार व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोवर्धन के प्रभारी डॉ बी एस सिसोदिया समेत दर्जन भर चिकित्सक कोरोना के दौर में जनता का इलाज करने में पीछे नही रहे।
जब प्राइवेट चिकित्सालय बंद थे तब सिर्फ ये सरकारी चिकित्सक ही काम कर रहे थे।
एक साल में तीन सीएमओ भी लड़े कोरोना से लड़ाई
मथुरा में वर्ष 2020 में शुरू में सीएमओ रहे डॉक्टर शेर सिंह अस्वस्थ होते हुए भी कोरोना से जूझते रहे। इसके बाद सीएमओ रहे डॉ संजीव यादव ने भी कोरोना से जमकर लड़ाई लड़ी। अब डॉ रचना गुप्ता सीएमओ के रूप में कार्यरत हैं। वह इस लड़ाई में अभी भी पीछे नहीं हट रही हैं।
सांसद हेमा ने माना- सबसे बड़े योद्धा सरकारी चिकित्सक
सांसद हेमा मालिनी ने कहा था कि आज के समय में यदि कोई कोरोना योद्धा हैं तो वह सच्चे अर्थों में स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक और कर्मचारी हैं इसी नाते हेमा मालिनी ने अपने साइन से कोरोना योद्धा के प्रमाण पत्र भी वितरित किए।