- स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने गौ माता का पूजन कर मनायी गोपाष्टमी
- गौ, गंगा और गौरी भारत की विशेषता है – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
- गाय कल्चर और गंगा कल्चर का संरक्षण और संवर्द्धन ही भारतीय संस्कृति
ऋषिकेश। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को परमार्थ निकेतन में गौ माता का पूजन, गुड़ और हरी चारा खिलाकर गोपाष्टमी मनायी गयी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और परमार्थ गुरूकुल के आचार्यो व ऋषिकुमारों ने वेद मंत्रों और धार्मिक विधि-विधान गौ माता का पूजन किया। शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, उस समय गौ माता कामधेनु भी़ निकली थी, जिसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया था। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि गाय के गोबर और मूत्र में देवी लक्ष्मी का निवास होता है. इसलिए ही दोनों ही चीजों का उपयोग शुभ काम में किया जाता है. हिंदू धर्म में गाय को पवित्र स्थान प्राप्त है. कहते हैं गाय में कई देवी-देवताओं का वास होता है और इसलिए गाय को पूजनीय स्थान प्राप्त है तथा गोपाष्टमी का यह पर्व गौधन और प्रकृति संवर्द्धन से जुड़ा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कृषि और ऋषि दो संस्कृतियाँ है। ऋषि संस्कृति जिसने हमें हमारी संस्कृति दी, सभ्यता दी और गौरवमयी इतिहास दिया, जिससे हम अपने संस्कारों को लेकर आगे बढ़ सके। दूसरा है कृषि संस्कृति, वह भी ऋषियों की ही देन है। ऋषियों ने संदेश दिया कि अगर कृषि को बचाये रखना है तो गौ माता को बचाना होगा। वर्तमान समय में हम गाय कल्चर और गंगा कल्चर की ओर लौटे। माँ गंगा के पावन जल की बड़ी महिमा है, वैसे ही गौ माता के गौमूत्र से बने अर्क का सेवन करने से शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है।
स्वामी जी ने कहा कि गंगा और गौ भारत की विशेषता है, इसे भूल न जायें। हमारे देश में पायी जाने वाली देशी गायें कल्पतरू से भी बढ़कर हैं। गौ के दूध से बने उत्पादों का महत्व बताते हुये कहा कि गाय के दूध से बने सभी उत्पाद बहुत ही लाभदायक है। गौ मूत्र नहीं बल्कि यह तो अमृत है आईये गौ और गंगा संस्कृति को अपनायें और स्वस्थ और निरोगी रहे।
भगवान श्री कृष्ण ने गौ माता की सेवा कर हमें संदेश दिया कि गाय, माता के समान है व पूजनीय है। धरती पर सन्तुलन बनायें रखने के लिये मनुष्य के साथ सभी जीव जन्तुओं का धरती पर होना नितांत आवश्यक है। जीवों में गाय अत्यंत कोमल हृदय और उपयोगी प्राणी है। स्वामी जी ने देशवासियों से आह्वान किया कि गौ माता और गोवशं को संरक्षण प्रदान करें और उनका संवर्द्धन करें क्योंकि गौ माता हिन्दू संस्कृति का प्रतीक है।