दोहरीघाट। गोंठा की मंडी प्रांगण में रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला मंचन के पांचवें दिन मंगलवार को सीता हरण और जटायु वध के लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया।
वहीं कार्यक्रम की शुरुआत सूर्पणखा की नाक काटे जाने के दृश्य से हुई। जो रावण के क्रोध का कारण बना। रावण ने सीता का हरण करने की योजना बनाई। जबकि मारीच ने उसे समझाने का प्रयास किया लेकिन अभिमानी रावण ने किसी की एक न सुनी। अंततः मारीच ने सोने के मृग का रूप धारण कर लिया और पंचवटी में पहुंचा।
सीता इस मृग के सौंदर्य से मोहित हुईं और श्री राम के पीछे जाने की प्रार्थना की। जब राम ने मृग का पीछा किया तो मारीच ने श्री राम की आवाज में लक्ष्मण को पुकारा। सीता की बात सुनकर लक्ष्मण भी रेखा खींचकर गए। इसी अवसर का लाभ उठाते हुए रावण ने छल से सीता का हरण कर लिया।
इसके बाद सीता के विलाप को सुनकर जटायु ने रावण को रोकने का प्रयास किया, लेकिन रावण की शक्ति के सामने जटायु ने प्राणों का बलिदान दे दिया। इस दृश्य ने दर्शकों को गहरी भावुकता से भर दिया।
प्रभु श्री राम और लक्ष्मण सीता की खोज में निकल पड़े, और इस लीला ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। जिन्होंने इस मंचन प्रदर्शन की सराहना की।
इस तरह रामलीला ने न केवल धार्मिक आस्था को बल्कि कला और संस्कृति के प्रति लोगों की रुचि को भी जीवित रखा।कार्यक्रम के दौरान रामलीला समिति के सदस्य एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।