भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी, पत्रकारिता के स्तंभ और लेखक गणेश शंकर विद्यार्थी के जीवन में कई घटनाएं उल्लेखनीय रहीं। उन्होंने प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लिखा, संपादन किया और अपना अखबार निकाला। सिर्फ 40 साल की उम्र में गणेश शंकर विद्यार्थी ने सांप्रदायिक दंगे में हजारों जानें बचाने के लिए अपनी जान दे दी थी। महात्मा गांधी ने इसे शानदार मौत कहा था। यह भी कहा कि काश मैं भी ऐसी मौत मर सकूं।