देवभूमि भारतवर्ष का विश्व स्तर पर बढ़ता मान और ऊँची उठती प्रतिष्ठा

“लोगों ने माना कि उ.प्र. में सम्पन्न राजसूय यज्ञ से राष्ट्र पर दैवीय संरक्षण बढ़ा है”

लखनऊ। भारतवर्ष दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है, जिसे देवभूमि कहा जाता है। बीते नवम्बर माह के दूसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद के मियागंज कस्बे में ‘राजसूय यज्ञ’ की पूर्णाहुति के बाद भारत के खाते में अनेक अंतरराष्ट्रीय सफलताएं आ रही हैं। इस बीच इस देश का मान विश्व स्तर पर बढ़ा। विगत 14 नवम्बर को इस ऐतिहासिक महायज्ञ की पूर्णाहुति के दो दिन बाद 16 नवम्बर को भारत को जी-20 की अध्यक्षता की प्राप्ति आधिकारिक रूप से हुई। इंडोनेशिया ने भारत को आगामी वर्ष के लिए वैश्विक स्तर पर अति महत्व वाले इस समूह की अध्यक्षता सौंपी। भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी ने इस मौके पर विश्व शान्ति समेत तमाम मुद्दों पर अपनी बात भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में विश्वपटल पर रखी। भारत की इस उपलब्धि को विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ा एक कदम माना जा रहा है।

भाग्योदय फाउंडेशन नयी दिल्ली के संस्थापक व संस्थापक तथा युगऋषि आचार्य श्रीराम शर्मा के वरद शिष्य आचार्य राम महेश मिश्र ने इस ऐतिहासिक घटना को भारत के हृदय प्रान्त उत्तर प्रदेश में पूर्ण गरिमा एवं वैदिक मर्यादा के साथ नवम्बर मास में सम्पन्न राजसूय यज्ञ का पहला सत्परिणाम बताते हुए कहा कि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं० श्रीराम शर्मा आचार्य की सारी भविष्यवाणियां अब एक-एक कर सच सिद्ध हो रही हैं। मानों! महान तपस्वी गायत्री साधक आचार्यश्री के संकल्पों व घोषणाओं को पूरा करने के लिए दैवीय शक्तियों ने कमर कस ली हो।

आपको बता दें कि अगले साल जी-20 शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित होगा, जिसकी मेजबानी भारत करेगा। इस सम्बन्ध में पीएम मोदी ने कहा कि भारत जी-20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान, इंडोनेशिया के सराहनीय आतिथ्य को आगे बढ़ाने का भरसक प्रयत्न करेगा।

क्या है जी 20 समूह?

वर्ष 2008 में दुनिया भर में आयी आर्थिक मंदी के बाद जी-20 समूह का गठन हुआ था। वैश्विक स्तर पर आर्थिक मामलों में सहयोग के लिए यह समूह काम करता है। जी-20 का यह शिखर सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है। अगले साल 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा। 9 और 10 सितम्बर 2023 की तिथियों में नयी दिल्ली में अगला जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित होगा।

सम्मेलन में शामिल होंगे ये देश

जी-20 समूह में विश्व के 19 देश तथा यूरोपीय संघ शामिल है। इस समूह में भारत के अलावा अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, कनाडा, चीन, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब और तुर्की शामिल हैं।

शुरू हो गया भारत में बैठकों का दौर

केन्द्रीय व‍िदेश मंत्रालय की ओर से मंगलवार को इस बाबत जारी घोषणा के मुताबिक भारत अपनी अध्यक्षता में 9 और 10 सितम्बर 2023 को राजधानी दिल्ली में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। भारत 1 दिसम्बर 2022 से 30 नवम्बर 2023 तक एक वर्ष के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। इसके साथ ही देश भर में इस साल दिसम्बर से तैयारी बैठकों का दौर शुरू हो रहा है। भारत करीब 200 से ज्‍यादा मीट‍िंग्‍स की भी मेजबानी कर सकता है। जी-20 प्रेसिडेंसी के रूप में भारतवर्ष बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई (UAE) को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित करेगा।

राजसूय यज्ञ की विशेष आहुतियों की पहली फलश्रुति

उन्नाव राजसूय यज्ञ के संयोजक मुकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता राजसूय यज्ञ में दी गई विशेष वैदिक मंत्रों की पहली फलश्रुति के रूप में सामने आई है। उन्होंने कहा कि मियागंज के ऐतिहासिक राजसूय यज्ञ में राष्ट्र को समर्थ, जागृत और चेष्टावान बनाने के लिए विशेष आहुतियां दी गई थीं। इस महायज्ञ के प्रमुख संरक्षक एवं क्षेत्रीय विधायक बम्बा लाल दिवाकर बताते हैं कि पर्यावरण सुधार तथा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी हिमालयी दिव्य शक्तियों का आह्वान राजसूय यज्ञ में किया गया था। भारत सरकार के पूर्व सचिव डॉ. कमल टावरी (अब स्वामी कमलानन्द गिरि), उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, उच्च शिक्षा राज्य मन्त्री रजनी तिवारी, राज्य के पूर्व गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र समेत अनेक वरिष्ठ अधिकारी, व्यापारिक व सामाजिक क्षेत्र से जुड़े विभूतिवान व मनीषी तथा सांसद व विधायक भी इस राजसूय यज्ञ में सम्मिलित हुए थे। प्रान्त के अन्नदाता किसानों, महिलाओं, प्रखर युवाओं और गायत्री साधकों की भारी संख्या में मौजूदगी ने यज्ञ प्रांगण को दिव्य बना दिया था।

ज्ञातव्य है कि विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा क‍ि आज जब भारत की जी-20 प्राथमिकताएं मजबूत होने की प्रक्रिया में हैं और जब चल रही बातचीत, समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास के इर्द-गिर्द घूमती है, पर्यावरण के लिए जीवन शैली, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा से लेकर वाणिज्य, कौशल-मानचित्रण, संस्कृति और पर्यटन तक के क्षेत्रों में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और तकनीक-सक्षम विकास, जलवायु वित्तपोषण, परिपत्र अर्थव्यवस्था, वैश्विक खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, ग्रीन हाइड्रोजन, आपदा जोखिम में कमी और लचीलापन, विकासात्मक सहयोग, आर्थिक अपराध के खिलाफ लड़ाई और बहुपक्षीय सुधार पर केंद्रित रहेगी।

मंत्रालय ने बयान में कहा क‍ि हमारी अध्यक्षता के दौरान, भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील ट्रोइका बनाएंगे। यह पहली बार होगा जब ट्रोइका में तीन विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल होंगी, जो उन्हें वैश्विक पटल पर एक बड़ी आवाज प्रदान करेंगी।

भारत के जी-20 अध्यक्ष बनने पर खुश हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अमेरिका भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन करेगा। सामूहिक रूप से जी-20 वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 फीसदी, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75 फीसदी और विश्व जनसंख्या का एक-तिहाई भाग है, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच बनाता है। उल्लेखनीय है कि भारत वर्तमान में जी-20 ट्रोइका (वर्तमान, पिछली और आने वाली जी-20 प्रेसिडेंसी) का हिस्सा है, जिसमें इंडोनेशिया, इटली और भारत शामिल हैं।

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