गाजीपुर। भांवरकोल क्षेत्र के पलियां गांव स्थित गंगाघाट पर चल रही रामकथा में महामंडलेश्वर शिवराम दास उर्फ फलहारी बाबा ने कहा कि जीव और ब्रह्म के मिलन का सर्वोत्तम सोपान पुष्प वाटिका प्रसंग है। मानस में दो वाटिका की चर्चा है ।अशोक वाटिका और पुष्प वाटिका। विदेह नगर की वाटिका पुष्प वाटिका है तो देहनगर की वाटिका अशोक वाटिका है योगी जनक की वाटिका पुष्प वाटिका है तो भोगी रावण की वाटिका अशोक वाटिका है। दोनों वाटिकाओं का केंद्र बिंदु मां जगत जननी सीता ही रही ।राम को सीता जी से मिलना था तो पुष्प वाटिका में जाना पड़ा और हनुमान को भी सीता से मिलना था तो अशोक वाटिका में जाना पड़ा। जहां सज्जनों की महफिल संतों की सभा लगती है वही वाटिका है। जीवन में संत और सत्संग का महत्वपूर्ण स्थान दिया जाए तो जीवन ही वाटिका बन जाएगा। भक्ति रूपी सीता सदा ही निवास करेगी राम को स्वयं चलकर आना पड़ेगा। ब्रह्म कहने सुनने का चीज नहीं है ब्रह्म तो अनुभव अनुभूति आभास का विषय है। जहां मन बुद्धि वाणी अवरुद्ध हो जाती है। वहां से ब्रह्म की शुरुआत होती है रामकृष्ण परमहंस, मीरा, नरसी मेहता के मन और बुद्धि काम करना बंद कर दी तब ईश्वर की परम सत्ता का साक्षात्कार हुआ ऐसे लोगों को जगत वासी पागल कहते हैं या यूँ कहे कि परम सत्ता को जो पा जाता है वह पागल हो जाता है। फिर दुनिया उसे अच्छी नहीं लगती। इस मौके रमेश राय, प्रहलाद राय, रोहित राय, अनिल राय, लक्ष्मण यादव, मिथिलेश यादव, सुमित ठाकुर, विश्वनाथ राम, अखिलेश उपाध्याय आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।