सेनानी परिवारों ने की ‘स्वतंत्रता सेनानी परिवार आयोग’ के गठन की मांग

  • स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रीय मेमोरियल दिल्ली में स्थापित हो
  • राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने शासकीय अतिथियों के समक्ष रखीं सेनानी संगठनों की अपेक्षाएं
  • महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी एवं कई सांसद सेनानी परिवारों के साथ आए
  • सेनानी परिवारों ने पीएम मोदी के स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के भारत निर्माण के संकल्प को सराहा
  • राष्ट्रीय सम्मेलन में असम सरकार और उत्तराखण्ड सरकार के निर्णयों की सराहना की गई
  • स्वतंत्रता सेनानी परिवार राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न

नई दिल्ली, 3 फरवरी। जिन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और खून पसीने से देश को आजादी मिली है, उनके परिवारजन और अंशज-वंशज भी आज राष्ट्र के रचनात्मक नवनिर्माण में भारी भूमिका निभा रहे हैं एवं और आगे बढ़कर बड़े उत्तरदायित्व निभा सकते हैं। जरूरत है कि सरकार और समाज उनका यथोचित ध्यान रखे। इस दिशा में जो प्रमुख कदम उठाए जा सकते हैं, उनमें “राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार आयोग” का गठन, देश की राजधानी में “स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रीय मेमोरियल” की स्थापना, नगर निकायों से लेकर राज्यसभा तक के सदनों में सेनानी परिवार के सदस्यों का मनोनयन तथा दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी सेवा सदन का निर्माण प्रमुख हैं।

यह बात आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकार परिवार समिति (रजि.) के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने कही। वे डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के मुख्य भीम सभागार में आयोजित स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के महासंगठन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद तीरथ सिंह रावत, रोहतक के सांसद अरविन्द शर्मा आदि की विशिष्ट उपस्थिति में श्री रघुवंशी ने बीते सात वर्षों के सेनानी परिवारों के संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अपेक्षा की कि मंत्रालय द्वारा गठित स्वतंत्रता सेनानियों की एमिनेंट कमेटी में वीरांगनाओं एवं सेनानियों के साथ सेनानी परिवारों के हितों की रक्षा के लिए संघर्षरत सेनानी संगठनों के प्रतिनिधियों को भी सम्मिलित किया जाए। क्योंकि, अतिवृद्ध होने के कारण सेनानियों द्वारा कमेटी में उस भूमिका का निर्वहन नहीं हो पा रहा है, जिसकी केन्द्र सरकार को अपेक्षा है।

राष्ट्रीय सम्मेलन में 1822 से 1947 तक की अवधि में देश की आजादी हेतु संघर्ष करने वाले सभी सेनानियों के परिवारजनों को विशेष पहचान देने तथा ऑनलाइन परिचय पत्र जारी किए जाने की सुविधा प्रदान करने का आग्रह केन्द्र सरकार से किया गया।

बतौर मुख्य अतिथि सम्मेलन में पधारे महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने इस अवसर पर अंग्रेजों की गुलामी काल के पहले के अनेकानेक सेनानियों क्रांतिवीर बहादुरों को याद किया और कहा कि उन्होंने सारे भारत को अपना परिवार माना था। आप सब एक महान वृहद परिवार के सदस्य हैं। आजादी के मतवालों का सपना केवल अंग्रेजों को भगाना नहीं, बल्कि भारत से अंग्रेजियत को भगाना था। लेकिन वह कार्य हो नहीं सका। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार स्वभाषा और स्वदेशील जैसे मुद्दों पर अच्छा कार्य कर रही है। श्री कोश्यारी ने राजनैतिक आजादी के बाद सांस्कृतिक आजादी के लिए काम करने का सभी से आव्हान किया। इस कार्य की शुरुआत 22 जनवरी को अयोध्या धाम से हो चुकी है।

रोहतक हरियाणा के सांसद डॉक्टर अरविंद शर्मा तथा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत सेनानी परिवारों के महासंगठन द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि वह सांसदों के एक दल की ओर से इस विषय को केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री के संज्ञान में लायेंगे।

सभा की शुरुआत दक्षिण भारत और उत्तर भारत के विभिन्न दलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं वंदे मातरम राष्ट्रगीत के साथ हुई, जिसका नेतृत्व सुरेश चन्द्र सुवाल ने किया।

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