वाराणसी। मोक्ष के तट पर सजी अनोखी महफ़िल, एक तरफ धधकती चिताएं, दूसरी तरफ गूंजी नगर वधुओं के घुंघरुओं की झंकार। बाबा महाश्मशान नाथ का हुआ तांत्रिक रूप में श्रृंगार
शायनकाल बाबा श्मशान नाथ के त्रिदिवसीय श्रृंगार के अंतिम दिन पंचमकार का भोग लगाकर तांत्रोकत विधान से भव्य आरती मंदिर के पुजारी लल्लू महाराज द्वारा किया गया। बेला, गुलाब, गेंदा के पुष्पो से भव्य श्रृंगार किया गया। भांग एवं खोए की बर्फी सहित ठंडई का भोग लगाया गया। फिर महाआरती की गई। आरती बाद प्रसाद भक्तो में वितरण किया गया।