मथुरा/ मदन सारस्वत। भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा की यू तो बात ही निराली है। नटखट छलिया ने यहाँ तमाम लीलाए की थी। उनकी लीलाओं में से एक है विश्व प्रसिद्द लट्ठमार होली जो पूरे भारत वर्ष में सिर्फ बृज में ही मनाई जाती है। होली के रंग और आनद भी ऐसे होते है कि आप भाव विभोर हो जाए। आज जन्म भूमि के लीला मंच प़र आयोजित होली महोत्सव में जहाँ प़र पहले तो दूर दूर से आये भगवान के भक्तों ने लीलाओं का आनंद लिया फिर यहाँ प़र सखियों द्वारा खेली गयी। फूलों की होली से तो सभी भाव विभोर हो गये और चारो तरफ भगवान की जय जय होने लगी। जिससे वातावरण भक्ति में डूब गया। बाहर से आये कलाकारों द्वारा मंच प़र तरह तरह की सांस्कृतिक कार्यक्रम भी दिखाए गए। जिसे लोगों का खूब मनोरंजन हुआ। वहीं मंच प़र मयूर नृत्य और ब्रज के मशहूर चुरकुला नृत्य ने भी श्रद्धालुओं की खूब तालिया बटोरी। सभी को होली के साथ साथ मस्ती का भी अहसास कराया जिसके वाद श्री कृष्ण जन्म भूमि प़र बरस रहे इन लट्ठो को देखकर शायद आपको भी लगेगा कि कही ऐसा भी होता है लेकिन यह सत्य है क्योंकि यह लट्ठ मथुरा की विश्व प्रसिद्द लट्ठमार होली में पड़ रहे हैं इस होली का यही अनोखा रूप देश ही नहीं दुनिया भर में लोगों को आकर्षित करता है। जिसे देखने के लिए हजारों नहीं लाखों श्रद्धालु बेचैन होकर इस तीन लोक से न्यारी मथुरा नगरी में खिंचे चले आते हैं। यहाँ प्रत्यक्ष में तीनो लोक के राजा श्री कृष्ण जो बसते हैं। वही अपने सखाओं सहित अपनी प्रिय राधा से होली खेलते हैं। सखियों से खाते हैंं। लट्ठ राधा कृष्ण के प्यार से सराबोर यह लट्ठ चाहे जितने भी तेजी से पड़ते हो लेकिन यही लगता है कि जैसे वह लट्ठ नहीं बल्कि फूल मारे जा रहे हैै। जबकि 2 साल से कोविड के कारण श्रद्धालु भी इस ब्रज की होली से अछूते थेे। मगर इस बार श्रद्धालुओं में 2 साल की कसर इस बार पूरी होती हुई दिखी और पूरा जन्मस्थान परिसर रंगीन हो गया जब चारों ओर अबीर गुलाल उड़ने लगा और टेशू के रंग में श्रद्धालु मस्त झूमते हुए और भीगते हुए भी नजर आए। जबकि भक्तों का कहना है कि यहां आकर होली खेलने का अपना अलग ही अंदाज है क्योंकि ऐसा लगता है कि यहां भगवान के साथ ही होली खेल रहे हैं और ये परिवार इतना बड़ा है ये और कही नही है।