दांडी यात्रा सभी के लिये एक उपहार – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

  • विश्व शान्ति महायज्ञ के साथ किया महाशिवरात्रि पारायण
  • योग और ध्यान वास्तविक सामंजस्य और शान्ति के आधारस्तंभ
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और परमार्थ परिवार के सदस्यों ने प्रातःकाल परमार्थ गंगा तट विश्व शान्ति महायज्ञ के साथ महाशिवरात्रि पारायण किया।

आज 32 वाँ अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के छटवे दिन की शुरूआत प्रसिद्ध सूफी  व भारतीय पाश्र्व गायक एवं संगीतकार श्री कैलाश खेर के संगीत ‘अगड बम बम लहरी, शिव शिव लहरी’ से हुई। प्रातःकालीन आध्यात्मिक सत्र में मोटिवेशनल स्पीकर और यूथ आइकाॅन अमेरिका के प्रिंस ईए का उद्बोधन हुआ। तत्पश्चात विश्व प्रसिद्ध योगाचार्यो द्वारा ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से योग, ध्यान प्राणायाम का अभ्यास कराया गया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है आज के दिन ही महात्मा गांधी जी ने ऐतिहासिक दांडी नमक यात्रा की शुरूआत की थी। 12 मार्च, 1930 को महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से इस सत्याग्रह की शुरुआत की थी और यह यात्रा साबरमती आश्रम से 240 किमी. दूर गुजरात के दांडी नामक तटीय कस्बे में पहुँचकर समाप्त हुयी। 6 अप्रैल, 1930 को महात्मा गांधी जी दांडी पहुँचे और वहाँ मुट्ठीभर नमक बनाकर आज के दिन को ऐतिहासिक बना दिया। दांडी यात्रा अत्याचारी एवं दमनकारी शासन के विरुद्ध एक अहिंसक प्रयास था जिसने भारतीय इतिहास को अविस्मणीय बना दिया। दांडी मार्च वह स्मरणीय पल है जो गांधीजी की निष्ठा, समर्पण और देशभक्ति का संदेश देता है। स्वामी जी ने कहा कि दांडी यात्रा हम सभी के लिये एक उपहार है।
डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि योग और ध्यान मनुष्य को आन्तरिक रूप से मजबूत बनाते हैं। कोई भी व्यक्ति डर में या दुख में नहीं जीना चाहता। कोई नहीं चाहता है कि हम डर में रहें या पीड़ित रहें हम सभी शांति, सुरक्षा, सम्मान और  गरिमा के साथ जीना चाहते हैं परन्तु हमारे पास शान्ति नहीं होगी तो बाहर भी किसी अन्य के पास शान्ति नहीं हो सकती। हमें आपने पास शांति लाने के लिये दूसरों को सुनना और समझना होगा तभी वास्तविक सामंजस्य स्थापित होगा और वही शांति का  आधार भी है। योग और ध्यान वास्तविक सामंजस्य और शान्ति के आधारस्तंभ हैं।
देश-विदेश के योगाचार्यो, योग साधकों और श्रद्धालुओं ने वर्चुअल रूप से माँ गंगा जी की दिव्य आरती में सहभाग किया।

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