कथाओं के माध्यम से जनसमुदाय को पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नई तकनीक से जोड़ना – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में विख्यात मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी महाराज पधारे। परमार्थ गुरूकुल के आचार्यो एवं ऋषिकुमारों ने शंख ध्वनि और पुष्प वर्षा कर उनका दिव्य स्वागत किया।

परमार्थ निकेतन गंगा तट पर जहां हजारों हजारों श्रद्धालु श्री मुरलीधर जी महाराज के मुखारविन्द से होने वाली दिव्य मानस कथा का श्रवण करने हेतु आते हैं, जो विगत दो वर्षो से कोविड-19 के कारण सम्भव नहीं हो रहा था, परन्तु वर्ष 2022 में पर्यावरण एवं जल संरक्षण को समर्पित मानस कथा का आयोजन पुनः किया जा रहा है ताकि जो श्रद्धालु गंगा तट पर कथा श्रवण करने के लिये तरस रहे हैं, उन्हें माँ गंगा के तट पर आकर कथा श्रवण करने का अवसर प्राप्त हो सके। मानस कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं की ज्ञान की प्यास बुझेगी और गंगा के पावन तट पर सत्संग का प्रवाह प्रवाहित होगा।

एक माह तक चलने वाली मानस कथा का पूरे विश्व में लाइव प्रसारण होता है ताकि वैश्विक स्तर पर स्वच्छता, स्वच्छ जल, नदियों का संरक्षण और संवर्द्धन तथा नदियों को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त करने की तकनीक पर भी समय-समय पर चर्चा की जा सके। साथ ही शौचालय के प्रति जागरूकता, प्लास्टिक मुक्त विश्व का निर्माण, वृक्षारोपण, बढ़ते ई कचरे के प्रति जागरूकता, शाकाहारी जीवनचर्या, कुपोषण, महिला सशक्तिकरण, बच्चों की शादी से पहले शिक्षा, बाल विवाह के प्रति जागरूकता, नशा मुक्त भारत, भ्रूण हत्या जैसे विषयों के प्रति जनसमुदाय को जागरूक किया जायेगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कथाओं के माध्यम से आत्मिक शान्ति और आध्यात्मिक संदेशों के साथ हम श्रद्धालुओं को नई तकनीक से भी परिचित करवाते हैं। प्रदूषित होती नदियों की दशा के बेहतर बनाने के लिये तथा उनमें गिरते गंदे नालों को परिशोधित करने हेतु नई तकनीक, जल को स्वच्छ करने की मशीनें, कालोनियों का जल मल शोधित करने हेतु विकेन्द्रीत एस टी पी प्लांट, धान की पराली को जलाने से उत्पन्न हुये वायु प्रदूषण को कम करने के लिये ’’एग्री बोर्ड’’ हरित बोर्ड बनाने हेतु प्रेरित करना ताकि बढ़ते वायुप्रदूषण तथा जल प्रदूषण को कम किया जा सके।

स्वामी जी ने बताया कि हम मानस कथा के माध्यम से कई अद्भुत एवं नवोदित आयामों एवं तकनीक से जनसमुदाय को परिचित करने की कोशिश करते हैं ताकि एक स्वच्छ, सुन्दर और प्रदूषण मुक्त विश्व का निर्माण किया जा सके।

कथाकार मुरलीधर जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन उनके अपने घर की तरह है। यहां आकर पूज्य स्वामी जी महाराज के पावन सान्निध्य में मानस कथा का पाठ करना मेरे लिये गर्व का विषय है। स्वामी जी ने कथा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का जो संदेश दिया वह अद्भुत है। हमारी कोशिश रहती है कि प्रत्येक मानस कथा को पर्यावरण के प्रति समर्पित करें ताकि हमारी धरा हरियाली से युक्त सदा श्यामला बनी रहे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कथाकार मुरलीधर जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर माँ गंगा के पावन तट पर उनका दिव्य अभिनन्दन किया।

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